भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी एक बार फिर गोवा में पार्टी के संकटमोचक के रूप में सामने आए। मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद उन्होंने न केवल नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर तेजी दिखाई बल्कि गठबंधन में टूट को टालते हुए सहयोगी दलों को भी साधे रखा।
गड़करी ने मार्च 2017 में भी ऐसी ही भूमिका निभायी थी जब उन्होंने भाजपा के नेतृत्व में गठबंधन को आकार दिया। चुनाव में कांग्रेस की 17 सीटों के मुकाबले भाजपा ने 13 सीट पर जीत दर्ज की थी। गड़करी क्षेत्रीय दलों जिन्होंने भाजपा का विरोध करते हुए चुनाव लड़ा था और तीन निर्दलीयों को गठबंधन में साथ लाने में सफल रहे।
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दो वर्ष बाद, रविवार को पर्रिकर के निधन के बाद, गोवा भाजपा प्रभारी गड़करी के समक्ष फिर गठबंधन के साथियों के बीच सहमति बनाने की चुनौती उत्पन्न हुई। पार्टी विधायक प्रमोद सावंत के नाम पर सहयोगी दलों को राजी कर उन्होंने फिर इस चुनौती को मात दी।
पणजी के निकट स्थित स्टार होटल को गड़करी ने केंद्र बनाते हुए सोमवार रात को लगातार बैठके की। पर्रिकर के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर हुई इन बैठकों में भाजपा, एमजीपी, जीएफपी और तीन निर्दलीय विधायकों ने हिस्सा लिया।
भाजपा के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि 2019 और 2017 के घटनाक्रम में पर्रिकर की गैरमौजूदगी बड़ा अंतर रहा। पर्रिकर ही तब वह बिंदु थे जिस पर सहयोगी दल एमजीपी और जीएफपी राजी थे। इन दोनों दलों के मध्य रिश्ते सहज नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मौजूदा स्थिति में गड़करी जैसे नेता के बिना इस चुनौती को मात देना आसान नहीं होता। ’’