भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हुआ था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। गुरुवार देर रात तबीयत बिगड़ने के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने 92 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर सामने आने पर पूरे देश में शोक की लहर है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन पर तमात दिग्गज नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं, आज मनमोहन सिंह का पूरे सैन्य सम्मान के साथ नई दिल्ली के निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।
निगम बोध घाट पर होगा अंतिम संस्कार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि डॉ. मनमोहन सिंह का पूरे राजकीय अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार 28 दिसंबर 2024 (शनिवार) को सुबह 11.45 बजे निगमबोध घाट पर किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ राजकीय अंतिम संस्कार की व्यवस्था करे। दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के लिए बतौर सांसद यह आखिरी सफर था। पूर्व प्रधानमंत्री लंबे समय तक राज्यसभा सांसद रहने वाले देश के चुनिंदा नेताओं में शुमार थे। वह लगभग 33 साल तक राज्यसभा सांसद रहे। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में नई वित्तीय और प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की।
भारत के वित्त मंत्री के रूप में योगदान
1991 में भारत जब गंभीर आर्थिक संकट के गुजर रहा था। उस समय डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसने भारत को आर्थिक उदारीकरण की राह पर आगे बढ़ाया। 1991 से 1996 तक डॉ. मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति लागू की, जिसे विश्वभर में सराहा गया। इन सुधारों ने भारत को आर्थिक संकट से उबारकर एक नई दिशा दी। डॉ. मनमोहन सिंह 1991 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने। 1998 से 2004 तक, जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी, डॉ. सिंह राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे।
दो बार बने देश के प्रधानमंत्री
डॉ मनमोहन सिंह को 2004 में पहली बार भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, उन्होंने 2009 में दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली। डॉ मनमोहन सिंह 2014 तक दो कार्यकालों के लिए भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जो लोकसभा चुनाव नहीं जीते थे और राज्यसभा सदस्य रहते हुए इस पद पर आसीन हुए। उनके कार्यकाल में आर्थिक विकास और सामाजिक योजनाओं पर विशेष जोर दिया गया।