देश में बढ़ा वनाच्छादित क्षेत्र, पर्यावरण संरक्षण को मिलेगी मजबूती - Punjab Kesari
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देश में बढ़ा वनाच्छादित क्षेत्र, पर्यावरण संरक्षण को मिलेगी मजबूती

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन एक संगठन भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई), देहरादून हर दो साल

देश का कुल वनाच्छादित क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन एक संगठन भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई), देहरादून हर दो साल में वन क्षेत्र का आकलन करता है। देश में वनाच्छादित क्षेत्र की स्थिति की नवीनतम रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के अनुसार, देश का कुल वनाच्छादित क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.71 प्रतिशत है। पिछले पांच वर्षों के दौरान देश में वनाच्छादित क्षेत्र का राज्य/संघ राज्य क्षेत्रवार विवरण अनुलग्नक में दिया गया है।

वन और वृक्ष आवरण में 7,449 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई

आईएसएफआर 2017 के आकलन की तुलना में आईएसएफआर 2021 के आकलन के अनुसार वन और वृक्ष आवरण में 7,449 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। चूंकि वन और वृक्ष आवरण में कोई कमी नहीं हुई है, इसलिए वन और वृक्ष आवरण में कमी के कारण कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में वृद्धि का सवाल ही नहीं उठता है।

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2021 और ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच डेटा के बीच विरोधाभास इन दोनों रिपोर्टों में अपनाई गई वन आवरण और वृक्ष आवरण की परिभाषा में अंतर के कारण हो सकता है।

संशोधनों को वनों के संरक्षण, प्रबंधन और पुनर्स्थापन को बढ़ावा

वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 को 4 अगस्त, 2023 के राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से संशोधित किया गया और संशोधित प्रावधान 1 दिसंबर, 2023 से प्रभावी हुए। संशोधनों को वनों के संरक्षण, प्रबंधन और पुनर्स्थापन को बढ़ावा देने, पारिस्थितिक रूप से सतत विकास का समर्थन करने, पारिस्थितिक सुरक्षा सुनिश्चित करने, वनों से संबंधित सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित करने और कार्बन में कमी पर जोर देते हुए आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लागू किया जा रहा है।

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