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फिल्ममेकर श्याम बेनेगल का निधन, राष्ट्रपति मुर्मू और PM मोदी ने जताया दुख

मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक श्याम बेनेगल का सोमवार को मुंबई में निधन हो गया।

मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक श्याम बेनेगल का सोमवार को मुंबई में निधन हो गया। उन्होंने 90 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कहा। बेनेगल का अंतिम संस्कार आज यानी मंगलवार को किया जाएगा। इस बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई महान हस्तियों ने श्याम बेनेगल के निधन पर दुख जताया है। उनकी बेटी पिया बेनेगल ने अपने पिता के निधन की खबर की पुष्टि की है। उनके निधन की खबर से पूरा बॉलीवुड में शोक की लहर है।

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PM मोदी ने जताया दुख

पीएम मोदी ने श्याम बेनेगल के निधन पर दुख जताते हुए कहा, श्री श्याम बेनेगल जी के निधन से बहुत दुःख हुआ, जिनकी कहानी कहने की कला ने भारतीय सिनेमा पर गहरा प्रभाव डाला। उनके काम को विभिन्न क्षेत्रों के लोग हमेशा सराहते रहेंगे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दुख व्यक्त किया

श्री श्याम बेनेगल के निधन से भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के एक गौरवशाली अध्याय का अंत हो गया है। उन्होंने एक नए तरह के सिनेमा की शुरुआत की और कई क्लासिक फिल्में बनाईं। एक सच्चे संस्थान के रूप में उन्होंने कई अभिनेताओं और कलाकारों को तैयार किया। उनके असाधारण योगदान को दादा साहब फाल्के पुरस्कार और पद्म भूषण सहित कई पुरस्कारों के रूप में मान्यता मिली। उनके परिवार के सदस्यों और उनके अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएँ।

राहुल गांधी ने जताया दुख

श्याम बेनेगल जी के निधन से दुखी हूँ, वे एक दूरदर्शी फिल्म निर्माता थे जिन्होंने भारत की कहानियों को गहराई और संवेदनशीलता के साथ जीवंत किया। सिनेमा में उनकी विरासत और सामाजिक मुद्दों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। दुनिया भर में उनके चाहने वालों और प्रशंसकों के प्रति हार्दिक संवेदना।

श्याम बेनेगल की उपलब्धियां

श्याम बेनेगल का जन्म हैदराबाद में श्रीधर बी. बेनेगल के घर हुआ था जो फोटोग्राफी के क्षेत्र में प्रमुख थे। उन्होंने एक कॉपीराइटर के रूप में अपना करियर शुरू करते हुए , उन्होंने 1962 में गुजराती में अपनी पहली डॉक्यूमेंट्री फिल्म घेर बैठा गंगा (गंगा के दरवाजे पर) बनाई। बेनेगल की पहली चार फीचर फिल्मों में अंकुर (1973), निशांत (1975), मंथन (1976) और भूमिका (1977) ने उन्हें उस दौर की नई लहर फिल्म आंदोलन का अग्रणी बना दिया। श्याम बेनेगल की फिल्में मम्मो , सरदारी बेगम और जुबैदा ने हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते है। फिल्म जगत को दिए योगदान के लिए उन्हें 1976 में पद्मश्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा इनके खाते में 8 नेशनल अवॉर्ड हैं। सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड इन्हीं के नाम है।

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