मशहूर फिल्ममेकर प्रीतीश नंदी का हार्ट अटैक से निधन, फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर - Punjab Kesari
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मशहूर फिल्ममेकर प्रीतीश नंदी का हार्ट अटैक से निधन, फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर

प्रसिद्ध लेखक,कवि और फिल्म निर्माता प्रीतीश नंदी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है।

भारत के प्रसिद्ध लेखक, कवि और फिल्म निर्माता प्रीतीश नंदी ने अब इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। प्रीतीश नंदी ने 73 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। बुधवार को मुंबई में उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। वहीं, मनोरंजन जगत के एक महशूर कलाकार की मौत पर कई हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। उनके करीबी दोस्त अनुपम खेर और सुहेल सेठ ने प्रीतीश नंदी के निधन पर सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रीतीश नंदी ने कई शानदार फिल्मों का निर्माण किया है। उनकी शानदार फिल्मों की बात करें तो उन्होंने ‘झंकार बीट्स’, ‘कांटे’, ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’, ‘प्यार के साइड इफेक्ट्स’, ‘अग्ली और पगली’ और ‘चमेली’ जैसी शानदार फिल्मे देश को दी।

अनुपम खेर ने दी श्रद्धांजलि

दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अपने ‘सपोर्ट सिस्टम’ प्रीतीश नंदी की मौत पर एक लंबा नोट साझा किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। अनुपम खेर ने लिखा- “मेरे सबसे प्रिय और करीबी दोस्तों में से एक प्रीतीश नंदी के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ और स्तब्ध हूं! एक अद्भुत कवि, लेखक, फिल्म निर्माता और एक बहादुर और अद्वितीय संपादक/पत्रकार! वह मेरी सहायता प्रणाली और ताकत का एक बड़ा स्रोत थे।

प्रीतीश नंदी को मिले पुरस्कार की सूची

प्रीतीश नंदी न केवल एक उल्लेखनीय निर्माता थे बल्कि एक पुरस्कार विजेता लेखक भी थे। दिवंगत लेखक को 1977 में भारत के राष्ट्रपति से पद्म श्री (भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) मिल। इसके अलावा 2008 में कर्मवीर पुरस्कार (सामाजिक न्याय और नागरिक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार) मिला। प्रीतीश नंदी को 2012 में हॉलीवुड में जेनेसिस अवार्ड्स में अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। बांग्लादेश के प्रधान मंत्री ने 1971 में दिवंगत लेखक को बांग्लादेश मुक्ति युद्ध पुरस्कार से सम्मानित किया और 2006 में संयुक्त राष्ट्र विरासत पुरस्कार भी मिला।

कौन थे प्रीतीश नंदी?

प्रीतीश नंदी का जन्म 15 जनवरी 1951 को बिहार के भागलपुर में हुआ था। वह ‘द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया’ के संपादक रहे और अपने निर्भीक विचारों के लिए मशहूर थे। साहित्य और पत्रकारिता के अलावा, उन्होंने फिल्म निर्माण में भी अपनी पहचान बनाई। प्रीतीश के निधन से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है।

अंग्रेजी में लिखी 40 पुस्तकें

प्रीतीश ने अंग्रेजी में कविता की 40 पुस्तकें लिखी हैं और बंगाली, उर्दू और पंजाबी के अन्य लेखकों की कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। साथ ही ईशा उपनिषद का एक नया संस्करण भी लिखा है। इसके अलावा उन्होंने कहानियों और गैर-काल्पनिक पुस्तकों के साथ-साथ संस्कृत से शास्त्रीय प्रेम कविताओं के अनुवाद की तीन पुस्तकें भी लिखी हैं।

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