रायपुर: छत्तीसगढ़ में लंबे समय से चली आ रही शिक्षा कर्मियों की हड़ताल नाटकीय ढंग से खत्म के पीछे प्रशासनिक अफसरों और राजनीतिक द्वंद ने अहम भूमिका निभाई। हालांकि मुख्यमंत्री ने शिक्षा कर्मियों को भरोसा दिलाया कि मुखिया होने के नाते उन्हें अपने कर्मचारियों की चिंता है। उन्होंने साफ तौर कहा कि वे जल्दी ही ऐसा कुछ करेंगे कि किसी को कोई तकलीफ न हो।
हालांकि हड़ताल अचानक खत्म होने से कई तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है। इसमें कई संगठनों ने फैसले से अपने कदम पीछे खींचते हुए इंकार कर दिया है। इधर विपक्ष के प्रदेश बंद के चलते आला पुलिस अफसरों ने विपक्ष के नेताओं को जाकर नि:शर्त रिहाई के फैसले की जानकारी दी।
सूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव अमन सिंह, रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी के अलावा एसपी संजीव शुक्ला की भूमिका को अहम माना जा रहा है। इधर शिक्षा कर्मियों ने सरकार के आश्वासन के भरोसे एक बार फिर यूटर्न लिया है। हालांकि शिक्षा कर्मियों के संघ में कई तरह चर्चाएं हो रही है। आधी रात लिखवाए गए समर्थन पत्र को लेकर भी अटकलों ने जोर पकड़ा हुआ है।
अफसरों ने जरूर शिक्षा कर्मियों से कहा कि वे सरकार पर भरोसा करें। वहीं प्रदेश में यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन गया था। शिक्षा कर्मियों का आंदोलन खत्म कराने प्रशासनिक स्तर पर शुरू से ही कवायदें चल रही थी। हालांकि बाद में आंदोलन लगातार उग्र होता चला गया।
नेताओं की गिरफ्तारी के बाद ही मामले में नाटकीय मोड़ आया। इससे पहले भी वार्ता की पेशकश के बावजूद शिक्षा कर्मी आला पदाधिकारियों के बगैर चर्चा से इंकार कर दिया था। प्रशासनिक स्तर पर भले ही वेकल्पिक व्यवस्था की गई थी लेकिन हालात सुधर नहीं पाए थे। अब एक दो दिनों में ही स्कूलों में पढ़ाई पटरी पर लौट सकती है। हड़ताल खत्म होने के बाद सरकार समेत प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।