16 साल में शादी, 21 साल में लेक्चरर, जानें Dr. Sarvepalli Radhakrishnan की अनोखी कहानी
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16 साल में शादी, 21 साल में लेक्चरर, जानें Dr. Sarvepalli Radhakrishnan की अनोखी कहानी

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan : एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने 16 साल में शादी के बंधन में बंधकर समाज के नियमों को माना तो 21 साल की उम्र में लेक्चरर बनकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। ये शख्स हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, उनकी जिंदगी की यह दिलचस्प दास्तान आपको हैरान कर देगी।

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan की अनोखी कहानी

5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने वाला दिन,Dr. Radhakrishnan    के जन्मदिन को समर्पित है। वह एक महान शिक्षाविद और पूर्व राष्ट्रपति थे। आइए, डॉ. राधाकृष्णन के जीवन के अनोखे पहलुओं को जानते हैं और समझते हैं कि कैसे उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी। डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनी में हुआ था। उनके पिता वीर सामैय्या तहसीलदार मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे, उनके परिवार का मूल गांव सर्वपल्ली था।

उन्होंने प्राथमिक शिक्षा तिरुतनी में प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने तिरुपति के लूथेरियन मिशनरी हाई स्कूल, वूर्चस कॉलेज वेल्लूर और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने दर्शनशास्त्र में एमए किया, जिसने उनके जीवन की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, 16 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई, लेकिन शादी के बाद भी उनके शिक्षा के सपने नहीं टूटे। 20 साल की उम्र में उन्होंने ‘एथिक्स ऑफ़ वेदान्त’ पर थीसिस लिखा, जो साल 1908 में प्रकाशित हुआ।

The Legacy of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan: | by Shantanukumarsahoo Sbi | Sep, 2024 | Medium

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan : 16 साल में शादी, 21 साल में लेक्चरर

महज 21 साल की उम्र में उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में फिलॉसफी विभाग में जूनियर लेक्चरर के रूप में पढ़ाना शुरू किया। उनका शिक्षण करियर बहुत ही प्रेरणादायक रहा और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्हें 1954 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया और 1962 तक इस पद पर रहे। उन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

5 सितंबर को क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस

डॉ. राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है। उनका मानना था कि शिक्षकों को समाज में एक विशेष स्थान मिलना चाहिए और शिक्षक दिवस इसी विचार को जीवित रखता है। उनकी आदर्श और शिक्षाएं आज भी विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं। उनके सम्मान में इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर कोई इस दिन अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

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