नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह संसद के मानसून सत्र में डीएनए प्रोफाइलिंग विधेयक पेश करेगी। केंद्र की इस जानकारी के बाद न्यायालय ने गैर-सरकारी संगठन लोकनीति फाउंडेशन की छह साल पुरानी जनहित याचिका का निपटारा कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि केंद्र सरकार कानून बना रही है, इसलिए अब इस याचिका की सुनवाई की जरुरत नहीं है। पीठ ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को यदि लगता है कि भविष्य में इस विषय में उसे न्यायालय के हस्तक्षेप की जरुरत है तो वह उसका दरवाजा खटखटा सकता है।
उल्लेखनीय है कि लोकनीति फाउंडेशन द्वारा दाखिल जनहित याचिका में मांग की गई थी कि लावारिस शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग हो, जिससे गुमशुदा लोगों से उसका मिलान कराया जा सके। याचिका में कहा गया था कि लावारिस शवों को लेकर एक वैज्ञानिक तरीका ईजाद करने की जरुरत है, जिससे शवों की पहचान हो सके। डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिये देश भर में मिलने वाले अज्ञात शवों का डीएनए लापता लोगों के डीएनए से मिलान कराया जा सकता है, जिससे उनकी पहचान करने में आसानी हो सकती है। गौरतलब है कि इसी तरह का वायदा केंद्र सरकार 2015 में भी इसी मामले की सुनवाई के दौरान भी कर चुकी है।
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