नयी दिल्ली : संसद में कार्यवाही नहीं चलने के कारण एक मंत्री की ओर से सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों द्वारा 23 दिनों का वेतन छोड़ने की घोषणा के बाद आज राजग में मतभेद उभर आया। शिवसेना ने कहा है कि इस मुद्दे पर पार्टी भाजपा के साथ नहीं है जबकि दूसरी सहयोगी रालोसपा ने कहा कि उसे फैसले की जानकारी नहीं है।
केंद्रीय मंत्री अनन्त कुमार ने कहा था कि सत्तारूढ़ राजग के सांसद 23 दिन का वेतन नहीं लेंगे। उन्होंने विपक्षी कांग्रेस को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में कामकाज नहीं होने के लिए जिम्मेदार ठहराया। बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद की कार्यवाही के लगातार बाधित रहने को लेकर सरकार को घेरते हुए शिवसेना ने आज कहा कि राजग सांसदों के 23 दिन के वेतन छोड़ने के मुद्दे पर वह भाजपा के साथ नहीं है।
दक्षिण पश्चिमी मुंबई से शिवसेना के सांसद अरविन्द सावंत ने हालांकि कहा कि वेतन और भत्ते नहीं लेने के बारे में फैसला करते समय उनकी पार्टी की राय नहीं ली गयी थी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शिवसेना ‘भाजपा के साथ नहीं है।’
सावंत ने कहा, ‘‘उन्होंने फैसला करने से पहले हमसे राय-मशविरा नहीं किया। उन्हें केवल राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनावों के दौरान राजग की याद आती है।’’ शिवसेना के 18 सांसद हैं और वह राजग का दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है। सावंत ने कहा, ‘‘यह वेतन का मुद्दा नहीं है। सांसद के रूप में हमने अपना काम किया। संसद नहीं चलने पर भी हमने अपने लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए मंत्रालयों के साथ बैठक की।’’
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने आज कहा कि उन्हें राजग सांसदों द्वारा बजट सत्र के दूसरे हिस्से के दौरान 23 दिनों का वेतन नहीं लेने के फैसले की जानकारी नहीं है । उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं इसके बारे में नहीं जानता हूं ।’’ कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी राजग की घटक दल है और लोकसभा में उसके तीन सदस्य हैं। भाजपा के सुब्रह्मण्यम स्वामी भी वेतन छोड़ने के फैसले के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह हर दिन राज्यसभा गए और अगर कार्यवाही नहीं हुयी तो इसमें उनका कोई दोष नहीं है।
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