दिल्ली: थाने में पुलिस अफसर की कुर्सी बैठी राधे मां, SHO लाइन हाजिर - Punjab Kesari
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दिल्ली: थाने में पुलिस अफसर की कुर्सी बैठी राधे मां, SHO लाइन हाजिर

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दिल्‍ली के विवेक विहार थाने में विवादास्पद धर्मगुरु राधे मां के साथ पुलिसकर्मियों का वीडियों वायरल हुआ है। इसमें थाने में पुलिसकर्मी राधे मां के साथ गीत गाते और ठुमके लगाते दिखाई दे रहे हैं। वीडियों वायरल होते ही विवेक विहार के एसएचओ को लाइन हाजिर कर दिया गया। बता दें कि दिल्‍ली के विवेक विहार थाने में विवादास्पद धर्मगुरु राधे मां के प्रति खाकी का सम्‍मान देख सब चकित रह गए।

खुद को देवी बताने वाली और दहेज प्रताड़ना के आरोप में कानूनी शिकंजे में फंस चुकी राधे मां एक बार फिर से विवादों में आ गई है। दिल्ली के विवेक विहार थाने से तस्वीर सामने आई। यहां विवादास्पद धर्मगुरु राधे मां थाने के अंदर एसएचओ की कुर्सी पर विराजमान दिख रही हैं। कमरे में कुछ पुलिस वाले भी भक्त की मुद्रा में नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं थाने के अंदर जुटी भक्तों की भीड़ राधे मां की जय-जयकार कर रही थी।

इस तस्वीर में राधे मां हाथ में त्रिशूल लिये थाने में प्रवेश करती हैं। उन्हें सामने देख थाने के एसएचओ ने अपनी कुर्सी उनके लिए खाली कर दी और खुद राधे मां के बगल में खड़े हो गए। एसएचओ संजय शर्मा एक भक्त की तरह राधे मां के सामने हाथ जोड़े खड़े रहे। इस बात से बेपरवाह कि उन्हें जो वर्दी पहनी है वो किसी स्वयंभू संत की सेवा के लिए नहीं बल्कि जनता की सेवा के लिए है। एसएचओ संजय शर्मा ने इस दौरान वर्दी के ऊपर ही लाल रंग की चुनरी भी डाल रखी है।

एसएचओ को देखकर ऐसा लग रहा था मानो वो अपने कर्तव्यों के मंदिर यानी थाने में ना होकर किसी देवी के मंदिर में खड़े हों। जब थाने के मुखिया का ये हाल हो तो फिर दूसरे पुलिसवाले कैसे पीछे रहते। राधे मां का आशीर्वाद लेने के लिए वो भी कतार में लग गए। विवेक विहार थाने की ये तस्वीर नवरात्रि के दौरान महा अष्टमी की है।

इस बारे में जब एसएचओ से बात करने की कोशिश की गई, तो वो कन्नी काट गए। थाने के एक कांस्टेबल का कहना है कि राधे मां रामलीला में आई थी। काफी भीड़ जुटने की वजह से एसएचओ संजय शर्मा उन्हें थाने ले गए। हाल ही में संतों की एक संस्था ने उन्हें फर्जी संत घोषित किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि एक थाने में राधे मां के प्रति इतनी श्रद्धा कहां तक उचित है? उन्हें दारोगा की कुर्सी पर बिठाने की क्या जरुरत थी? हर कुर्सी की एक मर्यादा होती है, क्योंकि ये कुर्सी किसी व्यक्ति की नहीं है, बल्कि दिल्ली पुलिस के एक जिम्मेदार अफसर की है।

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