दिल्ली हाई कोर्ट ने कथित 5,000 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़ा मामले में धन शोधन जांच के दौरान गिरफ्तार आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक को सोमवार को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने मामले के संबंध में 12 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार अनूप प्रकाश गर्ग को राहत देते हुए उन्हें जमानत दे दी। मामले में गुजरात स्थित फार्मा कंपनी भी शामिल है।
न्यायमूर्ति गुप्ता ने गर्ग को निर्देश दिया कि वह संबंधित अदालत की अनुमति के बगैर देश छोड़कर नहीं जायेंगे। हाई कोर्ट ने गर्ग को यह भी निर्देश दिया कि वह मामले में आगे की जांच में सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर गवाहों को ना तो प्रभावित करेंगे या ना ही कोई दखल देंगे। अनूप प्रकाश गर्ग को दो लाख रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की जमानत राशि देने का आदेश दिया गया है।
उन्होंने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि वह जनवरी से हिरासत में हैं। इस मामले में चूंकि आरोपपत्र दायर किया जा चुका है, इसलिए आगे की जांच में उनकी आवश्यकता नहीं है। निदेशालय के वकील अमित महाजन और नीतेश राणा ने इस जमानत का यह कहकर विरोध किया कि अपराध, आरोप की प्रकृति और मामले में जारी जांच की गंभीरता पर गौर करते हुए गर्ग को राहत नहीं दी जानी चाहिए।
निदेशालय ने कहा कि अधिकारी ने आरोपी कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक को करीब 250 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया और इसके लिये अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कथित रूप से 1.52 करोड़ रुपये की रिश्वत ली। अनूप प्रकाश गर्ग मामले में गिरफ्तार किये जाने वाले दूसरे व्यक्ति हैं। इससे पहले पिछले साल नवंबर में दिल्ली स्थित कारोबारी गगन धवन को गिरफ्तार किया गया था।