रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्चस्तरीय बैठक में पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की - Punjab Kesari
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्चस्तरीय बैठक में पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को स्पष्ट तौर पर बता

पूर्वी लद्दाख में समग्र सुरक्षा स्थिति की शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समीक्षा की। सूत्रों ने यह जानकारी दी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने बैठक में शिरकत की। सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गयी।
उन्होंने बताया कि हालात से निपटने के लिए भविष्य के कदमों पर विचार-विमर्श किया गया। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध सुलझाने के प्रस्ताव पर चीनी सेना के गंभीरता नहीं दिखाने के सेना के आकलन के मद्देनजर यह समीक्षा की गयी। सैन्य वार्ता में गतिरोध आ गया है क्योंकि भारतीय सेना ने दृढ़तापूर्वक जोर दिया है कि तीन महीने से चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए चीनी सेना को इस साल अप्रैल की यथास्थिति को बहाल करना होगा।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में बदलाव उसे स्वीकार्य नहीं है। भारत और चीन के बीच पिछले ढाई महीने में सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई चरण की बातचीत हो चुकी है लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के समाधान के लिए कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हो पायी है। दोनों पक्षों के बीच बृहस्पतिवार को राजनयिक स्तर की अगले चरण की वार्ता हुई जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने त्वरित तरीके से और निर्धारित समझौते और प्रक्रिया के मुताबिक लंबित मुद्दों के समाधान के लिए सहमति जतायी है।
हालांकि सूत्रों ने कहा कि बैठक में कोई महत्वपूर्ण समाधान नहीं हो सका। एनएसए अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर बातचीत के एक दिन बाद छह जुलाई को सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई। हालांकि, मध्य जुलाई के बाद से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पायी। सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पीछे हट चुकी है लेकिन पैंगोग सो, देपसांग तथा कुछ अन्य स्थानों से सैनिकों की वापसी नहीं हुई है।

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