कोलकाता : बुद्ध नागरिकों द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामलों पर चिंता प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री को लिखे गए एक खुले पत्र के बाद, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बुधवार को कहा कि देश में दलित और अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं।
उन्होंने कहा कि जो लोग लोकसभा चुनाव में हार से अब तक नहीं उबर पाए हैं वो आपराधिक घटनाओं को सांप्रदायिकता से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
विभिन्न क्षेत्रों की 49 शख्सियतों के दस्तखत वाले एक पत्र में कहा गया है कि मुस्लिमों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों की पीट-पीटकर हत्या के मामलों को तत्काल रोकना चाहिए। इस पत्र में फिल्मकार अडूर गोपालकृष्णन और अपर्णा सेन, गायिका शुभा मुद्गल और इतिहासकार रामचंद्र गुहा, समाजशास्त्री आशीष नंदी सहित नामी शख्सियतों के हस्ताक्षर हैं।
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘किसी को भी आपराधिक घटनाओं को सांप्रदायिकता से नहीं जोड़ना चाहिए। देश में दलित और अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में मिली हार से उबर नहीं पाए लोग ऐसी कोशिश कर रहे हैं।’’
हिंसा और असहनशीलता पर सरकार की कथित चुप्पी के खिलाफ लेखकों के विरोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमने 2014 के चुनाव के बाद अवार्ड वापसी के नाम पर ऐसी ही चीजें देखी थीं, यह उसी का भाग-दो है।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसे अपराधों से निपटने के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियां हैं और राज्य सरकारों ने प्रभावी और सख्त कदम उठाए हैं ।
नकवी ने कहा, ‘‘लेकिन, मानवाधिकार और धर्मनिरपेक्षता के संरक्षक होने का दावा करने वाले कुछ लोग अपराध की ऐसी घटनाओं को सांप्रदायिकता से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि ऐसे लोग लगातार दूसरी बार मोदी की शानदार जीत के बाद सदमे से उबर नहीं पाए हैं और अवार्ड वापसी मुहिम का दूसरा दौर शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि हमारे देश में अल्पसंख्यक और दलित बिल्कुल सुरक्षित हैं। उनके सामाजिक-आर्थिक, धार्मिक अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं। तथ्यों से साबित हो गया है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में एक भी बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ है।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित 23 जुलाई के पत्र में कहा गया है कि ‘‘असहमति के बिना लोकतंत्र नहीं होता है।’’