बीजेपी की आलोचना कर कांग्रेस ने गिनाईं नए संसद भवन की खामियां ! जाने किसने क्या बोला? - Punjab Kesari
Girl in a jacket

बीजेपी की आलोचना कर कांग्रेस ने गिनाईं नए संसद भवन की खामियां ! जाने किसने क्या बोला?

साल 2019 जब आर्किटेक्ट बिमल पटेल द्वारा नई संसद भवन के डिजाइन तैयार किए गए थे। तब से लेकर 28 अगस्त 2022 तक नए संसद भवन का मुख्य ढांचा बनकर तैयार हो चुका था इतना ही नहीं बल्कि 20 मई 2023 के दिन यह पूरी तरह निर्माण होकर भी तैयार हो गया जहां 28 मई 2023 के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया। निर्माण से लेकर उद्घाटन तक और पुराने संसद भवन के द्वार बंद होने से लेकर नए संसद भवन के दरवाजे खुलने तक विपक्ष लगातार ही केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए नजर आ चुकी है।नई संसद भवन में एक बार फिर विवादों का दौर शुरू हो चुका है यह विवाद तब से शुरू हुआ जब 19 सितंबर को नए संसद भवन का श्री गणेश किया गया जहां तमाम सांसद वहां पर पहुंचे थे फिर इस विशेष सत्र को 22 सितंबर के दिन समाप्त कर संसद के कार्यकाल को स्थगित कर दिया गया।

बीजेपी और कांग्रेस की टक्कर

कांग्रेस के महासचिव के बयान के बाद से ही नए संसद भवन पर हो रहा विवाद अब विकराल रूप ले रहा है। जी हां शनिवार के दिन जय राम रमेश द्वारा ट्विटर पर एक पोस्ट किया गया जिसमें लिखा हुआ था की मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरिएट’ इस टिप्पणी के बाद लोगों को समझ नहीं आया था कि क्या यह संबोधन है या फिर प्रधानमंत्री पर कसा हुआ तंज है। क्योंकि इस दौरान उन्होंने बताया कि संसद के अंदर बिताए गए उनके चार दिन का अनुभव कैसा था जिस पर जेपी नड्डा ने पलटवार करते हुए बताया कि इससे कांग्रेस की घटिया मानसिकता नजर आती है।

क्या कहा था जयराम रमेश ने ?

28 में 2023 के दिन जब नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा था तब भी विपक्ष खूब हंगामा मचा रहा था क्योंकि विपक्ष का यह कहना था कि नई संसद भवन का उद्घाटन देश के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथ होना चाहिए लेकिन यह उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों हुआ था जिस पर कांग्रेस से लेकर अन्य विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई तंज कसे थे। इस बार जय राम रमेश ने अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ” दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत एवं संवाद ख़त्म हो गई है। यदि वास्तुकला लोकतंत्र को ख़त्म कर सकती, तो संविधान को फिर से लिखे बिना ही प्रधानमंत्री इसमें सफल हो गए हैं।हॉल के कंपैक्ट (सुगठित) नहीं होने की वजह से एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता महसूस होती है। पुराने संसद भवन की कई विशेषताएं थीं। एक विशेषता यह भी थी कि वहां बातचीत और संवाद की अच्छी सुविधा थी। दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल और गलियारों के बीच आना-जाना आसान था। नया भवन संसद के संचालन को सफ़ल बनाने के लिए आवश्यक जुड़ाव को कमज़ोर करता है। दोनों सदनों के बीच आसानी से होने वाला समन्वय अब अत्यधिक कठिन हो गया है। अगर आप पुरानी इमारत में खो जाते तो आपको अपना रास्ता फ़िर से मिल जाता क्योंकि वह गोलाकार है। नई इमारत में यदि आप रास्ता भूल जाते हैं, तो भूलभुलैया में खो जाएंगे। पुरानी इमारत के अंदर और परिसर में खुलेपन का एहसास होता है, जबकि नई इमारत में घुटन महसूस होती है।अब संसद में भ्रमण का आनंद गायब हो गया है। मैं पुरानी बिल्डिंग में जाने के लिए उत्सुक रहता था। नया कॉम्प्लेक्स दर्दनाक और पीड़ा देने वाला है। मुझे यकीन है कि पार्टी लाइन्स से परे मेरे कई सहयोगी भी ऐसा ही महसूस करते होंगे। मैंने सचिवालय के कर्मचारियों से यह भी सुना है कि नए भवन के डिज़ाइन में उन्हें काम में मदद करने के लिए आवश्यक विभिन्न व्यावहारिकताओं पर विचार नहीं किया गया है। ऐसा तब होता है जब भवन का उपयोग करने वाले लोगों के साथ ठीक से परामर्श नहीं किया जाता है।2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।