बांग्लादेश में इस्कॉन पर बैन लगाने से कोर्ट का इनकार, पढ़ें ताजा अपडेट - Punjab Kesari
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बांग्लादेश में इस्कॉन पर बैन लगाने से कोर्ट का इनकार, पढ़ें ताजा अपडेट

Ban on ISKCON : बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को ढाका कोर्ट ने खारिज कर

Dhaka Court : बांग्लादेश में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को ढाका कोर्ट ने खारिज किया है। कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि इस्कॉन की गतिविधियों के खिलाफ हमने कदम उठाए हैं। मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने बताया कि इस्कॉन मामले में 3 केस दर्ज हुए और 33 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। अशांति रोकने के लिए सेना तैनात की गई है। याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा कि इस्कॉन पर बैन लगाने का यहह सही समय है, जिस पर कोर्ट ने कहा कि ये सरकार तय करेगी। बता दें, इस्कॉन मंदिर के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद वहां संगठन को लेकर विवाद बढ़ रहा है। बांग्लादेश में कई जगहों पर हिंसा हुई है। इतना ही नहीं बांग्लादेश और भारत सरकार के रिश्तों में भी दरार आई है।

27 नवंबर को बैन को लेकर दायर की गई थी याचिका

रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में इस्कॉन मामले को लेकर पीएम मोदी ने विदेश मंत्री से बातचीत की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें हालातों से अवगत कराया। गौरतलब है कि 26 नवंबर को चटगांव में इस्कॉन प्रमुख की जमानत नामंजूर हो गई थी। उसके बाद हुई हिंसा में वकील सैफुल इस्लाम की मौत हो गई थी। फिर 27 नवंबर को बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी।

‘सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोगों का हाथ’

याचिकाकर्ता वकील ने कोर्ट में कहा था कि सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोग हैं। इस कारण से इस संस्था को बैन किया जाए। अर्जी में चटगांव में इमरजेंसी घोषित करने की भी मांग की गई थी। याचिका पर बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मुहम्मद असदुज्जमां ने इस्कॉन को धार्मिक कट्टरपंथी संगठन बताया था।

सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता हैं चिन्मय

बता दें, चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असल नाम चंदन कुमार धर है। वह चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में हिंसा के दौरान 5 अगस्त को पीएम शेख हसीना ने देश छोड़ा था, उसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं, जिसके बाद हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। इसके प्रवक्ता चिन्मय प्रभु बने। मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए थे।

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