अगले 2 महीनों में कांग्रेस को मिल जाएगा नया अध्यक्ष, गांधी परिवार का नहीं होगा सदस्य : सूत्र - Punjab Kesari
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अगले 2 महीनों में कांग्रेस को मिल जाएगा नया अध्यक्ष, गांधी परिवार का नहीं होगा सदस्य : सूत्र

सूत्रों का माने तो कांग्रेस का अगला अध्यक्ष गैर गांधी होगा और अगले दो महीने में नया अध्यक्ष

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने पद से इस्तीफा देने की बात पर अड़े हुए हैं। वही , गांधी परिवार ने यह भी साफ किया है कि प्रियंका भी अध्यक्ष नहीं बनेंगी। 
आपको बता दे कि राहुल ने पिछली कार्यसमिति की बैठक में यह साफ कर दिया था कि इसमें प्रियंका गांधी को ना घसीटा जाए। वहीं , सोनिया गांधी अपने स्वास्थ्य को लेकर पहले ही पार्टी में अपनी सक्रियता कम कर चुकी हैं। 
ऐसे में कांग्रेस के बड़े सूत्रों का माने तो कांग्रेस का अगला अध्यक्ष गैर गांधी होगा और अगले दो महीने में नया अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। अब कांग्रेस में वैसे नामों पर विचार किया जा रहा है जिसपर गांधी परिवार की भी मूक सहमति हो और वह बाकी कांग्रेस के वरिष्ट्र नेताओं को स्वीकार्य हो। 
आपको बता दे कि एक ओर राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस न लेने पर अड़े रहने की स्थिति में पार्टी के सदस्य कांग्रेस के एक से ज्यादा कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के अपने मॉडल को पेश करने की प्रक्रिया में जुट गए हैं।
पार्टी के नए उत्तराधिकारी के बारे में काफी मंथन के बाद पार्टी के सदस्यों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि कांग्रेस के दो कार्यकारी अध्यक्ष होने चाहिए। उनमें से एक अगर दक्षिण भारत से हो तो पार्टी के लिए अच्छा होगा। वहीं एक प्रस्ताव यह भी है कि कार्यकारी अध्यक्ष अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में से होने चाहिए।
पार्टी सूत्रों के अनुसार , इस संबंध में कुछ नाम प्रस्तावित किए गए हैं। इनमें अनुसूचित जाति के 2 नेता सुशील कुमार शिंदे और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं। वहीं इनके साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी युवा अध्यक्ष के तौर पर लिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि नया सेट-अप संसद के बजट सत्र से पहले हो सकता है। 
इसके पहले पार्टी ने तीन कार्यकारी अध्यक्ष के लिए प्रस्ताव दिया था। कहा गया कि उत्तर, दक्षिण और पूर्वी भारत से एक-एक और अगर चौथा अध्यक्ष पश्चिम भारत से चुना जाए तो कोई हर्ज नहीं। 
सूत्रों ने यह भी बताया कि क्षेत्रीय नेता, जिन्होंने पार्टी नेतृत्व की राय में व कांग्रेस के अभियान में पूरा योगदान नहीं दिया, वह इसकी कीमत चुका सकते हैं। इनमें से एक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हैं। 
ज्ञात हो कि गहलोत के बेटे वैभव गहलोत की जोधपुर क्षेत्र से हार हुई थी। इस हार का ठीकरा उन्होंने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट और राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पर फोड़ा था। हालांकि सार्वजनिक तौर पर वह आपसी एकता बनाए नजर आते हैं। 

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