रायपुर: चुनावी मिशन के दौर में कांग्रेस नए सिरे से कवायदें शुरू कर रही है। पटेल फार्मूले के तहत ही तैयारियों ने जोर पकड़ा है। वहीं आम लोगों से सीधे संवाद करने की रणनीति अपनाई गई है। पदयात्राओं के तीसरे चरण में पांच विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस होगा। राज्य सरकार एक तरफ 14 साल के जश्र में डूबी होगी वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पदयात्रा कर सरकार के भ्रष्टाचार और नाकामियों की परतें उधेड़ते हुए निकलेगी। शहीद नंदकुमार पटेल की समाधि स्थल पर पदयात्रा 17 दिसंबर को खत्म होगी।
इस पदयात्रा के कई राजनीतिक मायने छिपे हैं। दरअसल, राज्य कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को हवाई और सड़क यात्राओं के बजाए पदयात्रा कर आम लोगों के बीच पहुंचने का फार्मूला सुझाया है। शहीद नंदकुमार पटेल भी इसी फार्मूले के तहत आगे बढ़ रहे थे। झीरम हादसे के बाद राहुल गांधी ने भी छत्तीसगढ़ को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है।
यही वजह है कि राहुल खुद छत्तीसगढ़ में चुनावी मिशन की तैयारियों की मानिटरिंग कर रहे हैं। 12 दिसंबर से शिवरीनारायण मठ से नंदेली तक होने वाली पदयात्रा में भी आम लोगों पर फोकस होगा। इसमें प्रदेश के प्रभारियों समेत सभी वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी भी सुनिश्चित होगी। राज्य कांग्रेस संगठन ने विधानसभा चुनाव से पहले आगामी छह माह तक पदयात्राएं कर टटोलेगी। वहीं दूसरी ओर राज्य में नए सिरे से कवायदें भी जोर पकड़ेगी।
राज्य में कांग्रेस ने चुनावी मिशन को लेकर अलग-अलग रणनीति तय करते हुए उन्हें जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही इसके लिए वरिष्ठ नेताओं को भी रेड मैप तैयार करने कहा गया है। शहीद नंदकुमार पटेल ने सभी वर्गों को साथ लेकर सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला तैयार किया था। यही वजह है कि अब कांग्रेस पटेल फार्मूले को साथ लेकर ही चुनावी नैया पार लगाने की तैयारियों में जुटी नजर आ रही है।
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