मेनका की आक्रामक प्रचार शैली से कांग्रेस गठबंधन सकते में - Punjab Kesari
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मेनका की आक्रामक प्रचार शैली से कांग्रेस गठबंधन सकते में

केंद्रीय मंत्री और सुल्तानपुर लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी मेनका गांधी की आक्रामक प्रचार शैली कांग्रेस

केंद्रीय मंत्री और सुल्तानपुर लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी मेनका गांधी की आक्रामक प्रचार शैली कांग्रेस और गठबंधन के माथे की सिलवटें गहरी कर रही है।

मेनका गांधी का मुकाबले कांग्रेस से डॉ. संजय सिंह, सपा-बसपा गठबंधन से चंद्र भद्र उर्फ सोनू सिंह से है जो अपनी-अपनी जीत का दावा ठोंक रहे हैं। श्रीमती गांधी पिछले दो हफ्ते से सुल्तानपुर में जमी हुयी है। चिलचिलाती धूप में दिन भर ग्रामीण क्षेत्रो में सभाएँ करने के बाद वह शाम को शहर में बुद्धिजीवी वर्ग के साथ बैठक कर उन्हें टटोल रही हैं।

अपनी जीत के प्रति निशि्चंत मेनका गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में देखने का दावा कर रही है वहीं कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. संजय सिंह अपने को स्थानीय और अपने पूर्व सांसद के कार्यो के बल पर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। गठबंधन के प्रत्याशी चंद्र भद्र उर्फ सोनू सिंह भी खुद को स्थानीय और महागठबंधन के नाते मजबूत मने हुए हैं। सभी सुल्तानपुर के विकास में चार चांद लगाने और गरीबो का मसीहा बता कर लोगो को अपने पक्ष में लाने की जुगत में लगे है।

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श्रीमती गांधी ने रविवार को गुरुद्वारे में माथा टेक अगले कार्यक्रम की शुरुआत की तथा कई स्थानों पर बाबा भीम राव अम्बेडकर जयंती कार्यक्रमो में भाग लिया।

गांधी परिवार की दूसरी बहू मेनका गांधी पिछले सात बार से पीलीभीत से सांसद रही हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर से वरुण गांधी विजयी हुए थे। वरुण गांधी ने अपने कार्यकाल में सांसद निधि से जिला अस्पताल में बच्चों के लिए अलग से एक विंग बनवाया है।

इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने वेतन से गरीबों के लिए आवास भी बनवाए हैं। 1980 के दशक में डॉ। संजय सिंह गांधी परिवार के बेहद करीबी थे। पार्टी में उचित स्थान न मिलने के कारण वह 1988 के दशक में जनता दल में शामिल हो गए। एक दशक बाद 1998 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के विरुद्ध चुनाव लड़, जिसमें उन्होंने 205025 वोट से जीत भी हासिल की। उस समय अमेठी से कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा 181755 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थे।

इस चुनाव में वह अपने पूर्व मित्र संजय गांधी की पत्नी के सामने मैदान में हैं। डॉ। संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से उम्मीदवार थी। चुनाव परिणाम में अमिता सिंह को चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ था। जब से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका वाड्रा चुनाव प्रचार में उतरी हैं, तब से कांग्रेसियों का मानना है कि इस बार सुल्तानपुर की नैया भी उनके सहारे पार हो जाएगी। सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी चंद्र भद्र सिंह 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार वरुण गांधी के प्रतिनिधि के रूप में थे।

इस बार टिकट न मिलने से नाराज चंद, भद, सिंह बहुजन समाज पार्टी में चले गए। इसके पहले भी वह कई पार्टियों में इधर से उधर आ-जा चुके हैं। वह गठबंधन उम्मीदवार के रूप में अपने को स्थानीय बताते हुए एवं सुल्तानपुर के विकास के लिए अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।

जिले में जारी अंतिम मतदाता सूची के अनुसार 18 लाख 11 हजार 770 मतदाता बनाए गए हैं। इसमें 9 लाख 47 हजार 618 पुरुष व 8 लाख 64 हजार 59 महिला मतदाता हैं। इन मतदाताओं के बीच तीनों पार्टियों के उम्मीदवार अपने आकर्षक वादे लेकर जनता के बीच इस भीषण गर्मी को सहन करते हुए जनता के सामने हाथ जोड़ खड़ दिखाई दे रहे हैं। दोनों उम्मीदवारों के मुकाबले मेनका की लगातार उपस्थिति उनकी मजबूती को और मजबूत कर रही हैं।

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