रायपुर : छतीसगढ़ के चुनावी मिशन में कांग्रेस रणनीतियों को लेकर संजीदगी से आगे बढ़ती नजर आ रही है। वहीं समीकरणों के लिहाज से विभिन्न वर्गों को साधने की कवायदें भी नजर आ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के बाद कांग्रेस को ऊर्जा मिली। वहीं एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष के दौरे के संकेत मिल रहे हैं। जुलाई माह के पहले पखवाड़े में राहुल गांधी का फिर छत्तीसगढ़ दौरे पर आ सकते हैं।
इस दौरान आदिवासी सम्मेलन में वे कांग्रेस के आदिवासी नेताओं के साथ भी रायशुमारी का दौर चलेगा। वहीं नए सिरे से से आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिशें होगी। इससे पहले भी वे जंगल सत्याग्रह के जरिए आदिवासी सम्मेलन में शिरकत कर चुके हैं। राज्य में आदिवासी वर्ग के समीकरण निर्णायक माने जाते रहे हैं। वहीं जल, जंगल और जमीन से बेदखली के साथ अधिकारों की अनदेखी के खिलाफ नाराजगी फूटती रही है।
वहीं कांग्रेस ने भी आदिवासियों के हितों की अनदेखी के मामले को जोरदार ढंग से उछाला है। इस मामले में लगातार हवा का रूख अपने पक्ष में बनाए रखने की कोशिशें नजर आ रही है। प्रदेश में पेसा कानून केसाथ पांचवी अनुसूची और वन अधिकार मान्यता अधिनियम का पालन नहीं होने से आदिवासी वर्ग का आक्रोश फूट रहा है। वहीं दूसरी ओर राज्य के उत्तरी सरगुजा इलाके में पत्थरगढ़ी आंदोलन ने पहले ही सरकार की नींद उड़ाई है।
सरकार ने डेमेज कंट्रोल की भी कवायदें की है। इसके बावजूद आदिवासी वर्ग का आंदोलन जारी है। यही वजह है कि आदिवासी वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। जुलाई माह में प्रदेश में आदिवासी कांग्रेस के प्रस्तावित सम्मेलन को अहम माना जा रहा है। प्रदेश में आदिवासी बेल्ट में कांग्रेस ने पहले ही मुहिम चलाई हुई है। इसका बेहतर रिस्पांस भी मिलने से रणनीतिकार गदगद हैं।
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