मध्यप्रदेश विधानसभा में आज आपातकाल की बरसी पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिक्र आने और इसके समेत कई अन्य मुद्दे को लेकर लगातार हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही विभिन्न समयावधियों के लिए कई बार स्थगित करने के बाद अंतत: अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई और इसी के साथ मानसून सत्र मात्र दो दिन में संपन्न हो गया।
सोमवार से शुरु हुए मानसून सत्र के तहत शुक्रवार तक पांच बैठकें प्रस्तावित थीं, लेकिन सोमवार और मंगलवार दोनों दिन हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही लगातार बाधित रही और विषयों का संपादन औपचारिक तौर पर किया गया। इसी हंगामे के बीच आज वित्त वर्ष 2018-19 का अनुपूरक बजट भी पारित कराने की औपचारिकता की गई।
इसके पहले सदन की कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम का जिक्र करते हुए कहा कि आज ही के दिन देश में आपातकाल लगाया गया था। उनकी टिप्पणी पर कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया। सरकार की ओर से मंत्री भूपेंद, सिंह, उमाशंकर गुप्ता, लाल सिंह आर्य और विश्वास सारंग ने आपातकाल के लिए कांग्रेस सदस्यों को निशाना बनाते हुए उनसे माफी मांगने की मांग की।
लगातार हंगामे और आरोप प्रत्यारोप के दौरान नरोत्तम मिश्रा की कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियों को अध्यक्ष डॉ सीतासरन शर्मा ने कार्यवाही से विलोपित करा दिया। इसी बीच कांग्रेस सदस्यों ने आसंदी के पास पहुंच कर नारेबात्री शुरू कर दी। मंत्री श्री मिश्रा ने कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ से जुड़ नारे लगाते हुए उन्हें भी निशाना बनाया। भारी शोर मचने के बीच अध्यक्ष डॉ शर्मा ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी।
सदन के समवेत होते ही मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सत्तारूढ़ दल प्रश्नकाल चलने देना चाहता है, लेकिन उनकी बातें सदन की कार्यवाही में दर्ज होना चाहिए। इस पर विपक्षी विधायकों ने भी भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हुए नारेबात्री दोबारा शुरू कर दी। सरकार के मंत्री इस दौरान देश में आपातकाल लगाने के लिए कांग्रेस से माफी मांगने की मांग पर अड़े रहे।
हंगामा जारी रहने के बीच अध्यक्ष डॉ शर्मा ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। सदन के एक बार फिर समवेत होने पर मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उनका व्यवस्था का प्रश्न है। इसी बीच भाजपा विधायक शंकर लाल तिवारी ने कहा कि आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों पर सदन में चर्चा कराई जाए। भाजपा विधायक कांग्रेस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की मांग भी करते रहे।
इसी बीच भाजपा की महिला विधायक नीलम अभय मिश्रा ने सरकार को कटघरे में खड़े करते हुए पुलिस पर अपने परिवार को प्रताड़ति करने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि रीवा पुलिस अधीक्षक स्थानीय मंत्री के दबाव में आकर काम कर रहे हैं और उनके परिवार के खिलाफ झूठे मामले बनाए गए हैं। उन्होंने अपने पति और रीवा जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा को भी जानबूझकर प्रताड़ति करने के आरोप लगाए। महिला विधायक के इन आरोपों का कांग्रेस ने भी समर्थन किया।
इस दौरान भी भाजपा विधायक आपातकाल के मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की मांग करते रहे। आपातकाल और महिला विधायक के आरोपों को लेकर सदन में जोरदार हंगामे की स्थिति बन गई और दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप लगातार जारी रहे।
इसी बीच बहुजन समाज पार्टी विधायक दल के नेता एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार ने दो अप्रैल को दलित आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में लोगों के खिलाफ झूठे प्रकरण दर्ज करने का आरोप लगाते हुए मांग की कि ऐसे सभी झूठे प्रकरण सरकार वापस ले। पार्टी के तीनों विधायक अपने हाथों में तख्ती लेकर आसंदी के पास पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस के भी कुछ विधायकों ने उनका समर्थन किया। हंगामे के कारण अध्यक्ष डॉ शर्मा ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
सदन के समवेत होने पर भी कई मुद्दों को लेकर हंगामा चलता रहा और औपचारिक कार्य पूरे कराने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
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