Chandipura Virus:चांदीपुरा वायरस के प्रकोप से कांपा गुजरात, अब तक 15 की मौत, 27 मामले आए सामने
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Chandipura Virus: चांदीपुरा वायरस के प्रकोप से कांपा गुजरात, अब तक 15 की मौत, 27 मामले आए सामने

देश के चार राज्यों में खतरनाक देसी वायरस ने अपने पांव पसार लिए हैं। इस वायरस का नाम चांदीपुर वायरस है। खासकर गुजरात में चांदीपुरा वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। अब तक चांदीपुरा में 27 संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं और 15 की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा मामले साबरकांठा और अरावली में सामने आए हैं। 27 में से 24 मामले गुजरात के हैं, जबकि 3 मामले दूसरे राज्यों से गुजरात आए हैं । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी पुणे को अलर्ट पर रखा गया है।

गुजरात में 8500 से ज्यादा घरों और 47 हजार से ज्यादा लोगों का स्क्रीनिंग किया गया है। राज्य सरकार ने सभी के लिए एडवाइजरी जारी की है। चांदीपुरा वायरस की खबर आने के बाद से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। देश की हेल्थ एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। चांदीपुरा वायरस से 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इस उम्र के बच्चों में ही सबसे ज्यादा मृत्यु दर देखी गई है। चांदीपुरा के इलाज के लिए अभी तक कोई भी एंटी वायरल दवा नहीं बनाई जा सकी है ।

गुजरात में अपने पांव पसारने के बाद चांदीपुरा वायरस ने महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश के बच्चों को अपनी चपेट में ले लिया है। सभी बच्चों के खून के सैंपल पुणे की राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology for confirmation–NIV) भेजे गए हैं। गुजरात के साबरकांठा, अरवल्ली, महिसागर और राजकोट में इसके मामले सामने आए हैं। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि जहां चांदीपुर वायरस के फैलाव सामने आया है वहां अब तक 8600 लोगो की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। यहां पूरे इलाके को 26 जोन में बांटा गया है।

क्या हैं चांदीपुरा वायरस के लक्षण?
चांदीपुरा वायरस होने से रोगी को बुखार की शिकायत होती है। इसमें फ्लू जैसे ही लक्षण होते हैं और तेज एन्सेफलाइटिस होती है। एन्सेफलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे दिमाग में सूजन की शिकायत होती है।

क्या है चांदीपुरा वायरस? 
चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है, जो सबसे ज्यादा मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। इसके फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार हैं। वर्ष 1965 में पहली बार महाराष्ट्र के नागपुर के पास चांदीपुर में इसका केस पाया गया था। उसी की वजह से इस वायरस का नाम चांदीपुरा पड़ा । इस वायरस को साल 2004, 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया।

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