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फ्रांस, जर्मनी, यूके और अमेरिका समेत वैश्विक सैन्य नेतृत्व से संवाद करेंगे CDS अनिल चौहान

सीडीएस चौहान का सिंगापुर दौरा, वैश्विक रक्षा वार्ता में भाग लेंगे

सीडीएस जनरल अनिल चौहान सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग 2025 के दौरान अमेरिका और यूरोपीय देशों के सैन्य प्रमुखों से मुलाकात करेंगे। यह यात्रा भारत की रक्षा साझेदारियों को मजबूत करने और वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका को प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण अवसर है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान 30 मई से 1 जून तक सिंगापुर की यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान वह अमेरिका और कई यूरोपीय देशों के सैन्य प्रमुखों और संबंधित रक्षा अधिकारियों से महत्वपूर्ण वार्ता करेंगे।

सीडीएस जनरल अनिल चौहान एशिया के एक प्रमुख रक्षा सम्मेलन ‘शांगरी-ला डायलॉग 2025’ के 22वें संस्करण में शामिल होने के लिए सिंगापुर जा रहे हैं।

इस रक्षा संवाद का आयोजन हर वर्ष इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज यानी आईआईएसएस द्वारा किया जाता है। अपनी इस यात्रा के दौरान जनरल अनिल चौहान विभिन्न देशों के रक्षा प्रमुखों और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं।

यह बैठकें भारत की रक्षा साझेदारियों को मजबूती देने और परस्पर सुरक्षा हितों पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेंगी। सीडीएस जनरल चौहान सम्मेलन के दौरान शैक्षणिक जगत, थिंक टैंक और शोधकर्ताओं को ‘भविष्य के युद्ध और युद्धकला’ विषय पर संबोधित करेंगे।

इसके अतिरिक्त, सीडीएस विशेष समानांतर सत्रों में भाग लेंगे और ‘भविष्य की चुनौतियों के लिए रक्षा नवाचार समाधान’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। शांगरी-ला डायलॉग को एशिया का प्रमुख सुरक्षा मंच माना जाता है, जो विश्वभर के रक्षा मंत्रियों, सैन्य प्रमुखों, नीति निर्माताओं और रणनीतिक विशेषज्ञों को एक साथ लाता है।

इस वर्ष के संवाद में 40 देशों के नेता इंडो-पैसिफिक सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। भारत की भागीदारी इस प्रतिष्ठित मंच पर उसकी वैश्विक रक्षा और सुरक्षा भूमिका को दर्शाती है। इस सम्मेलन के माध्यम से भारत की रणनीतिक सहभागिता, रक्षा कूटनीति और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थायित्व और सहयोग को और अधिक गति मिलेगी।

जनरल अनिल चौहान की यह यात्रा न केवल भारत के सैन्य दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर है, बल्कि उभरती रक्षा तकनीकों, सहयोग और साझा सुरक्षा दृष्टिकोण पर संवाद स्थापित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

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