पटना : बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि कल तक आरोप पत्र दाखिल करने की चुनौती देने वाले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की पूछताछ के बाद तिलमिला गये हैं। श्री मोदी ने यहां कहा कि श्री यादव कल तक रेलवे टेंडर में अनियमितता बरते जाने के मामले में सीबीआई को आरोप पत्र दाखिल करने की चुनौती दे रहे थे लेकिन जब ब्यूरो की टीम ने उनसे पूछताछ की तो इसके बाद से वह तिलमिला गये हैं।
उन्होंने कहा कि यदि नेता प्रतिपक्ष पटना में तीन एकड़ जमीन पर बन रहे शॉपिंग मॉल के मालिक कैसे बन गये का जवाब जनता को दे देते तो उन्हें उप मुख्यमंत्री पद नहीं गंवाना पड़ता। उप मुख्यमंत्री ने सवाल पूछा कि श्री यादव एवं उनकी मां तथा बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ देवी राज्य की जनता को केवल इतना ही बता दें कि मात्र 64 लाख रुपये की पूंजी लगाकर पटना की तीन एकड़ जमीन जिसका बाजार मूल्य 94 करोड़ रुपये से अधिक है के मालिक कैसे बन गए।
क्या रेलवे के दो होटलों को लीज पर देने की एवज में हर्ष कोचर की कम्पनी से तीन एकड़ जमीन पटना में प्रेमचन्द गुप्ता की डिलाइट मार्केटिंग के नाम से बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर नहीं लिखवा ली गई थी। श्री मोदी ने कहा कि आखिर श्री गुप्ता ने अपनी करोड़ की जमीन और पूरी कम्पनी (डिलाइट मार्केटिंग) श्रीमती राबड़ देवी और श्री यादव को क्यों सौंप दी।
वर्ष 2014 में 85 प्रतिशत शेयर श्रीमती राबड़ देवी और 15 प्रतिषत शेयर का स्वामित्व श्री यादव ने कैसे हासिल कर कम्पनी और करोड़ की जमीन के मालिक बन गए। कोचर बंधु को वर्ष 2004-05 में रेलवे के रांची और पुरी के दो होटल देने के एवज में यदि उसी समय राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद अपने परिवार के नाम जमीन लिखवाते तो तुरन्त भंडा फूट जाता, इसलिए उन्होंने अपने विश्वस्त श्री गुप्ता की कम्पनी को माध्यम बनाया ताकि भविष्य में उनसे जमीन वापस ले सके।
उन्होंने कहा कि आखिर डिलाइट कम्पनी के पूराने निदेशकों को वर्ष 2014 में हटाकर श्री तेजप्रताप यादव, तेजस्वी, श्रीमती राबड़ देवी, चन्दा यादव एवं रागिनी लालू 2014-16 के बीच इस कम्पनी के निदेशक कैसे बन गए। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि दरअसल सीबीआई के दरवाजा खटखटाते ही तेजस्वी यादव न केवल परेशान हैं बल्कि उनके होश भी उड़ गए हैं।
लालू परिवार के बचाव में उतरे राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने ही वर्ष 2008 में श्री शरद यादव के नेतृत्व में इस मामले को तत्कालीन प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया था। उन्होंने कहा कि अनाप-शनाप आरोप लगा कर कोई न तो अपने अपराध से बच सकता है और न ही जनता की सहानुभूति प्राप्त कर सकता है।
अन्य विशेष खबरों के लिए पढ़िये की पंजाब केसरी अन्य रिपोर्ट