राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच पर नोटों की गडि्डयां मिलने का मामला तूल पकड़ चुका है। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मामले की जांच कराने की बात कही है। बता दें, राज्यसभा या लोकसभा में सत्र के दौरान कैश कांड की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। इनमें पैसों के लेन-देन का आरोप, नोटों की गड्डियां लहराने, पैसे लेकर सवाल पूछने, विश्वास मत के लिए कैश ऑफर करने का आरोप शामिल हैं। 22 जुलाई, 2008 को मनमोहन सरकार के विश्वासमत हासिल किए जाने के दौरान लोकसभा में एक करोड़ रुपए के नोटों की गड्डियां लहरा कर सनसनी फैला दी गई थी।
भाजपा के 3 सांसदों ने लहराए थे नोट
नोट लहराने वालों में भाजपा के तीन सांसद-अशोक अर्गल, महावीर भागौरा और फग्गन सिंह कुलस्ते थे। तीनों सांसदों का आरोप था कि समाजवादी पार्टी के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने विश्वास मत में हिस्सा नहीं लेने के एवज में पैसों की पेशकश की थी। दोनों ने आरोपों से इनकार किया था।
महुआ ने पैसे लेकर पूछे थे सवाल
15 अक्टूबर 2023 को तृणमूल कांग्रेस सांसद (TMC) महुआ मोइत्रा के खिलाफ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर बताया था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से पत्र मिला है, जिसमें मोइत्रा और बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के बीच रिश्वत के आदान-प्रदान के “अकाट्य” सबूत हैं। दुबे ने स्पीकर से आरोपों की जांच के लिए जांच पैनल बनाने का आग्रह किया था। मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई, उसके बाद महुआ पर एफआईआर दर्ज की गई। फिर सीबीआई जांच हुई। उसके बाद मामला कोर्ट तक पहुंचा। अंत में 8 दिसंबर को महुआ की सांसदी चली गई।
12 दिसंबर 2005 को आया था मामला
12 दिसंबर 2005 को भी एक मामला आया था। तब एक निजी चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें खुफिया कैमरों में कुछ सांसद संसद में सवाल पूछने के एवज में पैसे लेते दिखे थे। अहम बात है कि इसमें 11 सांसद किसी एक पार्टी के नहीं थे। इनमें से छह बीजेपी, तीन बसपा, राजद और कांग्रेस से एक-एक सांसद थे।