कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली ट्रांसपोर्ट निगम (डीटीसी) ने जनता के पैसे का दुरुपयोग किया है। 2015-22 के ऑडिट में डीटीसी की अनियमितताएं सामने आईं, जिससे सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हुआ। डीटीसी ने बिज़नेस प्लान नहीं अपनाया और बसों की संख्या भी घट गई।
कैग द्वारा बनाई गयी रिपोर्ट में दिल्ली ट्रांसपोर्ट निगम के कामों काफी सारी अनियमित चीज़ें सामने आई हैं। इस रीपोर्ट के दौरान 2015-16 और 2021-22 में एक ऑडिट पेश किया गया था, जिसमे डीटीसी के कामों में काफी सारे खुलासे सामने आए थे और इन कुप्रबंध की वजह से सरकार को लाखों रुपए का नुक्सान हुआ।
कैग रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी ने कोई भी बिज़नेस प्लान नहीं अपनाया हुआ था और साथ ही साथ डीटीसी बस की संख्या 4,344 से घटकर 3,937 हो गयी थीं। हाई कोर्ट के नियमों के अनुसार यह संख्या 11000 होनी चाइये थी। रीपोर्ट में इसके अलावा और भी काफी सारी बातें सामने आई जैसे कि जब इलेक्ट्रॉनिक बस के सप्लाई में देरी हुई थी तो डीटीसी उनसे 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना लेने में असफल हो गयी थी। रिपोर्ट में यह भी पाया गया की 31 मार्च 2023 लौ-फ्लोर और ओवर आगे के बस की सप्लाई बढ़कर कर 44.96 प्रतिशत हो गयी थी। डीटीसी को कुल मिलाकर 14,198 करोड़ का घाटा 2015 से 2022 में हुआ था।
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इस घाटे का असली कारण रुट प्लानिंग में कमी है जिसमे पता लगाया जा रहा है की डीटीसी अपने रुट के केवल 57 प्रतिशत रूटों पर ही चल रही थी। इसी वजह से वह उपयुक्त लगान नहीं भर पा रही थी। यह भी जाना जा रहा है की क्लस्टर बसों की परिस्थिति डीटीसी बसों से ज़्यादा बेहतर है। निगम को ट्रांसपोर्ट निगम से अभी 225.31 करोड़ रुपये वसूल करने रहते हैं। कैग रिपोर्ट में यह बताया गया कि विज्ञापन के लिए कॉन्ट्रैक्ट देने वाले और कार्यालय कामों के स्थानों में देरी होनी की वजह से यह घाटा हुआ है और डीटीसी के पास अपने नुकसान की वसूली करने का भी कोई रोडमैप नहीं था।