संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्रों समेत पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों को सोमवार को लागू हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के दायरे से बाहर रखा गया है। कानून के मुताबिक, इसे पूर्वोत्तर के उन राज्यों में भी लागू नहीं किया जाएगा, जहां इनर लाइन परमिट (आईएलपी) व्यवस्था लागू है।
Highlights
- पूर्वोत्तर के आदिवासी क्षेत्रों में नहीं लागू होगा CAA
- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू
- मिजोरम और त्रिपुरा में ऐसी स्वायत्त परिषदें अस्तित्व
अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू
आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है। आईएलपी के तहत देश के अन्य हिस्सों से इन राज्यों की यात्रा करने के इच्छुक किसी व्यक्ति को राज्य सरकार से विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है। अधिकारियों ने 2019 में पारित कानून का हवाला देते हुए कहा कि छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदों वाले आदिवासी क्षेत्रों को भी सीएए के दायरे से बाहर रखा गया है।
मिजोरम और त्रिपुरा में ऐसी स्वायत्त परिषदें अस्तित्व
असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में ऐसी स्वायत्त परिषदें अस्तित्व में हैं। इनमें असम में कार्बी आंगलोंग, दिमा हसाओ और बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद क्षेत्र, मेघालय में गारो हिल्स और त्रिपुरा में आदिवासी क्षेत्र शामिल हैं। सीएए में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।