श्योपुर: देश में बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने की गरज से केन्द्र सरकार ढाई साल बाद यानि एक अपे्रल 2020 से बीएस-4 वाहनों की बिक्री पर रोक लगाने जा रही है। जबकि बीएस-3 वाहनों की बिक्री सरकार इसी साल बैन कर चुकी है। इस संबंध में केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। बताना मुनासिब होगा कि देश में सबसे ज्यादा प्रदूषण वाहनों से निकल रहे धुंए से फैल रहा है।
जिससे पर्यावरण को खासा नुकशान उठाना पड़ रहा है। बढ़ते प्रदूषण से सरकार भी चिंतित है और इसी चिंता का परिणाम है कि इस साल सरकार न केवल बीएस-3 वाहनों की बिक्री पर रोक लगा चुकी है,बल्कि आगामी 1 अप्रेल 2020 से बीएस-4 वाहनों की बिक्री को भी बैन करने जा रही है। सरकार का प्रयास है कि देश में निर्मित होने वाले वाहनों में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा किया जाए,ताकि बढते प्रदूषण में कमी आ सके।
केन्द्रीय सडक परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में 30 जून के बाद ऐसे वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि जो वाहन निर्माता कंपनियां जिन वाहनों के चैसिस बनाती हैं। ऐसे वाहनों के निर्माण के बाद रजिस्ट्रेशन के लिए 30 सितम्बर 2020 तक का समय दिया गया है। इस संबंध में जल्द ही फाइनल नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जब सरकार ने बीएस-3 वाहनों की बिक्री पर रोक लगाई थी,तब निर्माता कंपनियों ने ऐसे वाहनों को देशभर में औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पडा था। आलम यह रहा कि वाहनों पर 30 से 40 प्रतिशत तक की छुट दी गई थी। जिसके चलते शोरूमों पर वाहन खरीदने वालों की कई दिनों तक खासी भीड लगी रही थी। केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का कहना है कि बीएस-4 वाहनों की बिक्री के बाद बीएस-5 वाहन आएंगे,लेकिन ये भी ज्यादा दिन तक नहीं टिकेंगे।
इसलिए बेहतर होगा कि वाहन निर्माता कंपनियां बीएस-5 के बजाय सीधे बीस-6 तकनीक अपनाएं,ताकि प्रदूषण पर प्रभावी अंकुश लग सके। हालांकि बीएस-4 के बाद बीएस-5 तकनीक ही इस्तेमाल की जाएगी,किन्तु सरकार का जोर बीएस-5 की जगह सीधे बीएस-6 तकनीक पर जोर है। विशेषज्ञों की मानें तो बीएस यानि भारत स्टेज वाहनों की वह तकनीक है,जो उनसे निकलने वाले प्रदूषण को कम करती है।
इस पर लगातार काम चलता है और लगातार नई स्टेज के वाहनों को बाजार में लाते हुए पुराने वाहनों को बंद किया जाता है। बीएस-3 वाहनों से निकलने वाला धुंआ ज्यादा प्रदूषित एवं कई गंभीर बीमारियों का कारण बताया जाता है। वहीं बीएस-4 वाहनों से निकलने वाला धुंआ ज्यादा प्रदूषण नहीं फैलाता है।
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कार सहित अन्य बडे़ वाहनों पर फास्टैग स्टीकर लगाने का भी फैसला किया है। यह फास्टैग टोल नाकों पर इस्तेमाल होगा,जिससे टोल नाकों पर अक्सर लगने वाली वाहनों की भीड काफी कम होगी। फास्टैग लगा होने पर वाहन के टोल पर पहुंचते ही सेंसर उसे ट्रेस कर शुल्क काटकर अपने आप टोल गेट खोल देगा। इससे वाहनों को टोल पर ज्यादा देर तक नहीं रूकना पडेगा। स्टीकर से 10 प्रतिशत छूट भी मिलेगी।
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