रायपुर : छत्तीसगढ़ के चुनावी मिशन में आदिवासी बेल्ट को लेकर विशेष कवायदें हो रही है। इस मामले में सत्ताधारी दल भाजपा की ओर से रणनीति आगे बढ़ाई गई है। चुनावी दौर में भाजपा के रणनीतिकारों ने आदिवासी बेल्ट में ही अधिक फोकस किया है। इसमें बस्तर के अलावा सरगुजा अंचल में अब भाजपा की अधिक कवायदें नजर आएगी। सूत्रों के मुताबिक आदिवासी अंचल में चुनावी तैयारियों को लेकर नए सिरे से एक्शन प्लान तैयार किया गया है।
वहीं इसी कार्ययोजना को जल्दी ही फील्ड में अमलीजामा पहनाया जाएगा। माना जा रहा है कि भाजपा संगठन की ओर से इसके लिए पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाएगी। वहीं आदिवासी और दलित समुदाय को रिझाने के लिए विशेष तौर पर सरकार का भी फोकस होगा।
आदिवासी एवं दलित आरक्षित सीटों में फतह के लिए अलग से ताकत झोंकने पर भी विचार किया गया है। दोनों ही आरक्षित सीटें प्रदेश में चुनावी और सत्ता के समीकरणों को प्रभावित करने में निर्णायक माने जाते रहे हैं। भाजपा के अलावा विपक्षी दल कांग्रेस समेत अन्य दलों ने भी आरक्षित सीटों पर ही अधिक फोकस किया है।
राज्य में नए सिरे से चुनावी रणनीतियों पर मंथन के बाद राजनीतिक दलों में होड़ भी नजर आने लगी है। बीते विधानसभा चुनाव में आदिवासी बेल्ट के नतीजे सत्ताधारी दल के लिए अपेक्षा के अनुरूप नहीं माने गए थे। यही वजह है कि इस बार रणनीतियों में बदलाव किया गया है।
मिशन 65 के लक्ष्य के साथ विधानसभा क्षेत्रों को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इमनें कमजोर मानी जाने वाली सीटों पर अधिक फोकस होगा। वहीं बेहतर और बराबरी के मुकाबले वाली सीटों के लिए अलग रणनीति होगी। भाजपा ने इन सीटों के लिए अलग से रोड मैप तैयार किया है। इसके आधार पर ही सत्ता और संगठन ने इन सीटों में ताकत झोंकी हुई है।
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