कोरोना संकट के बीच कांग्रेस लगातार केंद्र द्वारा महामारी से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर सवाल खड़े कर रही है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंगलवार को कांग्रेस को राजनीतिक पाखंड की प्रयोगशाला बताते हुए कहा कि कांग्रेस को इस संकट के समय में लोगों में “भ्रम फैलाने” के बजाय “विश्वास”पैदा करने में हिस्सेदार बनने की कोशिश करनी चाहिए।
नकवी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ कांग्रेस, “संकट के समाधान का हिस्सा” बनने के बजाय “सियासी व्यवधान का किस्सा” बन गई है।’’ आज देश में असाधारण संकट के हालात हैं। कोरोना का कहर, तूफान की तबाही जैसी तमाम आपदाएं सामने हैं। ऐसी स्थिति में भी कांग्रेस “समस्या के समाधान के बजाय सियासी घमासान में लगी है।
उन्होंने कहा, ‘‘ “कांग्रेस और उसके साथियों को इस संकट के समय में लोगों में “भ्रम फैलाने ”के बजाय “विश्वास” पैदा करने का हिस्सेदार बनने की कोशिश करनी चाहिए।’’ नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संकट के समय सभी को साथ लेकर देश एवं लोगों की सुरक्षा, सेहत, सलामती के लिए प्रभावी ढंग से परिश्रम कर रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा सभी राज्य सरकारों को पूरी तरह विश्वास में लेकर हर तरह की जरूरतों को पूरा किया गया । भारत में कोरोना के संकट के समय लिए गए दूरदर्शी फैसलों का नतीजा है कि दुनिया के तमाम सुविधासम्पन्न देशों के मुकाबले भारत अपने लोगों की सेहत-सलामती में अग्रणी रहा है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए नकवी ने कहा कि कांग्रेस का “सैद्धांतिक कंटक” ही उसकी “राजनैतिक सोच का संकट” बन गया है। कांग्रेस ऑफलाइन-ऑनलाइन दोनों जगह संकट के समाधान के बजाय “सियासी व्यवधान” के “प्रयास” में लगी है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने देश में लगाए गए लॉकडाउन के विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि आगे कोरोना संकट से निपटने और जरूरतमंदों को मदद देने की उनकी रणनीति क्या है? उन्होंने अपनी पुरानी मांग दोहराते हुए यह भी कहा कि गरीबों और मजदूरों को 7500 रूपये की मदद दी जाए और राज्य सरकारों को केंद्र की तरफ से पूरी मदद मिले।