भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। 33 जजों में से 21 ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक की है, जिसमें प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना भी शामिल हैं। यह निर्णय न्यायपालिका की साख को मजबूत करने के उद्देश्य से लिया गया है, खासकर जब देश में पारदर्शिता को लेकर बहस चल रही है।
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। 33 कार्यरत न्यायाधीशों में से 21 ने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक कर दी है। इनमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर इन न्यायाधीशों की संपत्ति से जुड़ी घोषणाएं अपलोड कर दी गई हैं, और शेष जजों की जानकारी भी जल्द ही प्राप्त होने के बाद वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट बैठक में 1 अप्रैल 2025 को लिया गया, जहां यह तय किया गया कि सभी न्यायाधीशों की संपत्ति सार्वजनिक डोमेन में रखी जाएगी। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब न्यायपालिका की पारदर्शिता को लेकर देश में गंभीर बहस चल रही है, खासकर दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज यशवंत वर्मा के आवास से कथित नकदी की बरामदगी के बाद।
फुल कोर्ट का सर्वसम्मत निर्णय
1 अप्रैल 2025 को हुई सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ (Full Court) की बैठक में यह सर्वसम्मति से तय किया गया कि सभी जज अपनी संपत्ति का विवरण वेबसाइट पर सार्वजनिक करेंगे। बैठक की अध्यक्षता तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने की। निर्णय के तहत जजों को पदभार ग्रहण करते समय और किसी महत्वपूर्ण संपत्ति के अधिग्रहण के बाद उसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा।
उत्तरोत्तर मुख्य न्यायाधीश बनने वाले जज भी शामिल
संपत्ति सार्वजनिक करने वाले 21 जजों में वे तीन वरिष्ठ न्यायाधीश भी शामिल हैं, जो आने वाले वर्षों में प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। यह संकेत है कि शीर्ष न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक स्थायी और संस्थागत दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।
संपत्ति घोषणाओं की वेबसाइट पर अपलोडिंग शुरू
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी बयान के अनुसार, जिन जजों की संपत्ति घोषणाएं प्राप्त हो चुकी हैं, उन्हें वेबसाइट पर अपलोड किया जा चुका है। बाकी जजों की जानकारी जैसे ही उपलब्ध होगी, उसे भी वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा। इससे आम नागरिकों को शीर्ष न्यायाधीशों की पारिवारिक संपत्ति और वित्तीय स्थिति की जानकारी प्राप्त होगी।
पृष्ठभूमि में हाईकोर्ट जज पर लगे आरोप
यह निर्णय उस समय आया जब दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज यशवंत वर्मा के परिसर से कथित रूप से नकदी मिलने की खबर से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठे। ऐसे विवादों के बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारदर्शिता बढ़ाने का यह प्रयास संस्थागत साख को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।