नई दिल्लीः कर्नाटक में चुनाव से पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री द्वारा लिंगायत धर्म को मान्यता देने का दांव कामयाब होता दिख रहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक शनिवार को लिंगायत समुदाय के 30 प्रभावशाली गुरुओं ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का समर्थन कर दिया है। इसकी मुख्य वजह प्रदेश सरकार द्वारा लिंगायत को अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने का फैसला ही है। लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग को नकार चुके अमित शाह को अब लिंगायतों के मठाधीशों ने करारा झटका लगा है।
लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने के लिए आंदोलन कर रहे कर्नाटक के कई मठ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से नाराज़ हो गए हैं। आज बेंगलुरु में ऐसे 220 मठों के मठाधीशों ने बैठक बुलाकर इन चुनावों में कांग्रेस को समर्थन देने का बड़ा एलान कर दिया। लिंगायत समाज अगर इन संतों के फैसले का समर्थन कर देता है तो ये बीजेपी को बहुत मुश्किल में डाल सकता है। हाल ही में अमित शाह ने कुछ संतों से बात करते हुए ये कहा था कि जब तक केंद्र में बीजेपी की सरकार है तब तक कांग्रेस सरकार के इस फैसले को लागू नहीं होने दिया जाएगा।
अमित शाह के इस बयान से नाराज उन 220 मठों के मठाधीशों ने आज बेंगलुरु के बसव भवन में एक बैठक की, इस बैठक में चित्रादुर्गा के प्रसिद्ध मुरुगा मठ के मठाधीश मुरुगा राजेन्द्र स्वामी, बसव पीठ की प्रमुख माता महादेवी, सुत्तुर मठ सहित 220 मठों के मठाधीशों ने हिस्सा लिया। सभी ने चर्चा के बाद एक मत से ये फैसला लिया कि वो अमित शाह के बयान से बेहद आहत हुए हैं, केन्द्र सरकार के फैसले से पहले ही पार्टी के अध्यक्ष ने ये बता दिया है कि पार्टी इस मसले पर पार्टी का स्टैण्ड क्या है ऐसे में ये फैसला लिया गया है कि सीएम सिद्धरामैया ने उनकी बात मानी। उनकी मदद की इसीलिये, इस बार चुनाव में सिद्धरामैया को ही इन मठों का समर्थन मिलेगा।
इससे पहले अमित शाह ने वीरशैवा धर्मगुरुओं से मुलाक़ात की थी और उन्हें ये सुनिश्चित किया था कि केंद्र कर्नाटक को कांग्रेस सरकार के इस फैसले को खारिज करेगी। बता दें, कि लिंगायतों में वीरशैवा भी आते है जो कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के फैसले के विरोध में है।
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