रायपुर : छत्तीसगढ़ के चुनावी मिशन में सत्ताधारी दल भाजपा ने मुद्दों पर जवाबदेही के साथ अंदरूनी अभियान आगे बढ़ाया है। भाजपा में भी आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर इस बार भी नए फार्मूले के तहत प्रत्याशियों का चयन होगा। सूत्र दावा करते हैं कि संगठन ने सभी विधायकों के परफार्मेंस को टटोला है। इसके आधार पर ही प्रत्याशियों पर मुहर लगेगी। वहीं दूसरी ओर नए सिरे से सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही लोकप्रिय और सक्रिय चेहरों को मैदान में उतारा जाएगा। संगठन से जुड़े सूत्र यह भी दावा करते हैं कि इस बार पार्टी ज्यादातर नए चेहरों को तवज्जो दे सकती है।
विधायकों समेत कमजोर प्रदर्शन वाले कुछ मंत्रियों को भी बाहर किया जा सकता है। हालांकि भाजपा संगठन का यह दांव नया नहीं है। बीते चुनाव में भी इसी फार्मूले के तहत नए चेहरों को मैदान में उतारा गया था। इस रणनीति में सत्ताधारी दल को सफलता भी मिली। इधर प्रेक्षकों का दावा है कि प्रत्याशियों के मामले में सीटिंग एमएलए के खिलाफ क्षेत्रीय असंतोष ही चुनाव के नतीजे प्रभावित करने में बड़ा फैक्टर माना जाता है।
सीटिंग विधायक के खिलाफ नाराजगी दूर करने नए चेहरे उतारने का विकल्प बेहतर है। इससे काफी हद तक डैमेज कंट्रोल के साथ नाराजगी दूर हो सकती है। संगठन के इस फार्मूले में जरूर आंशिक बदलाव किया गया है। इस बाद छत्तीसगढ़ में प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव अभियान तक की रणनीति में सीधे केन्द्रीय नेतृत्व की नजर है। वहीं राष्ट्रीय स्तर से मिल रहे फीड बैक की वजह से भी भाजपा के अभियान की दिशा में तेजी आई है। भाजपा संगठन लगातार दावा करती रही है कि प्रदेश में डेढ़ दशक की सत्ता के बावजूद एंटी इंकमबेंसी फैक्टर की स्थिति नहीं है। वहीं संगठन केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं को सामने रखते हुए विकास के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है।
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