विधानसभा में हंगामा तब शुरू हुआ जब स्पीकर ने बीजेपी विधायक हिरण चटर्जी का माइक बंद कर दिया। इसके बाद दीपक बर्मन को निलंबित और शंकर घोष व मनोज उरांव को बाहर निकालने का आदेश दिया। बीजेपी विधायकों ने इस कार्रवाई का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया और स्पीकर पर पक्षपात का आरोप लगाया।
पश्चिम बंगाल की विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। विधानसभा स्पीकर ने भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक का माइक बंद करा दिया, जिसके विरोध में अन्य बीजेपी विधायकों ने सदन में हल्ला मचाना शुरू कर दिया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने बीजेपी विधायक दीपक बर्मन को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया और मार्शलों को शंकर घोष और मनोज उरांव को सदन से बाहर भेजने का निर्देश दिया। इस कार्रवाई के विरोध में बीजेपी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया और विधानसभा से बहिर्गमन किया।
WBPSC पर उठाए सवाल
जब भाजपा विधायक हिरण चटर्जी ने बजट पर चर्चा के दौरान पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग (डब्ल्यूबीपीएससी) के कामकाज पर सवाल उठाया कि 2011 में राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार आने के बाद से आयोग को एक भी सार्वजनिक शिकायत क्यों नहीं मिली। चटर्जी ने मुख्यमंत्री को मुख्य सचिव द्वारा हाल ही में भेजे गए एक नोट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि आयोग के पास शिकायतों का निपटारा करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसके बाद अध्यक्ष ने उन्हें याद दिलाया कि उनकी टिप्पणी का बजट पर चर्चा से कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए उन्हें अपना भाषण समाप्त करना चाहिए, लेकिन चटर्जी ने बोलना जारी रखा। इसके बाद अध्यक्ष ने उनका माइक बंद कर दिया, जिससे भाजपा विधायक भड़क गए और उन्होंने इसे विपक्ष की आवाज दबाने की साजिश बताया।
कार्रवाई पर भड़के शुभेंदु अधिकारी
इसके बाद अध्यक्ष ने चटर्जी की टिप्पणी को सदन से निकालने का आदेश देते हुए कहा कि यह विधायी मर्यादा का उल्लंघन है। इसके विरोध में शंकर घोष और मनोज उरांव ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। स्पीकर द्वारा बार-बार चेतावनी दिए जाने के बाद भी जब हंगामा नहीं थमा तो मार्शलों को बुलाकर दोनों विधायकों को बाहर निकाल दिया गया। इस कार्रवाई के बाद भाजपा विधायकों ने नाराजगी जताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया और कागज फाड़कर फेंक दिए। बाद में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने स्पीकर के फैसले की निंदा करते हुए इसे गुंडागर्दी बताया और आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।
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