सावधान! कोर्ट में अगर बोला झूठ, तो झेलने पड़ सकते हैं ये गंभीर परिणाम - Punjab Kesari
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सावधान! कोर्ट में अगर बोला झूठ, तो झेलने पड़ सकते हैं ये गंभीर परिणाम

अदालत में झूठी गवाही से बचें, भारी जुर्माना संभव

कोर्ट में झूठ बोलना गंभीर अपराध है, जिसके लिए भारतीय दंड संहिता में सख्त प्रावधान हैं. झूठी गवाही देने पर तीन साल की जेल और आर्थिक दंड हो सकता है. कोर्ट में सच्चाई बोलना जरूरी है, ताकि न्याय प्रक्रिया प्रभावित न हो.

Court Laws: एक कहावत है कि ‘सच की राह मुश्किल जरूर हो सकती है, लेकिन मंज़िल तक जरूर पहुंचाती है.’ जीवन में ईमानदारी और सत्यता का महत्व हर जगह होता है, लेकिन कुछ लोग मस्ती-मजाक में या किसी को नुकसान न पहुंचाने की मंशा से झूठ बोल बैठते हैं. हालांकि, जब बात किसी गंभीर स्थिति की हो, जैसे कि कोर्ट में गवाही देना, तो झूठ बोलने के नतीजे बहुत ही गंभीर हो सकते हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति कोर्ट में झूठी गवाही देता है या झूठे सबूत पेश करता है, तो यह न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि कानूनी रूप से भी दंडनीय अपराध है. अदालत में दिए गए हर बयान का कानूनन महत्व होता है, और वहां झूठ बोलना न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है.

भारतीय दंड संहिता में झूठी गवाही के प्रावधान

1-धारा 227:- अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठी गवाही देता है, तो उसके खिलाफ इस धारा के तहत मामला दर्ज हो सकता है.

2-धारा 228:- अगर झूठी गवाही के साथ-साथ झूठे दस्तावेज या साक्ष्य भी पेश किए जाते हैं, तो यह अपराध और भी गंभीर बन जाता है और इसके लिए अलग प्रावधान है.

3-धारा 229: इस धारा के तहत झूठी गवाही देने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की जेल और 5000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

गवाही देने से पहले वकील से सलाह जरूरी?

अगर आप किसी मामले में गवाही देने जा रहे हैं या अपनी बात कोर्ट के सामने रखने वाले हैं, तो यह बहुत जरूरी है कि आप पहले किसी अनुभवी वकील से सलाह लें. वकील आपको बताएंगे कि कौन-कौन से तथ्य ज़रूरी हैं और उन्हें कैसे पेश करना चाहिए, ताकि आपकी बात सही तरीके से रखी जा सके और किसी प्रकार की गलती से बचा जा सके.

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‘झूठी गवाही के गंभीर परिणाम’

अगर अदालत में यह साबित हो जाता है कि आपने जानबूझकर झूठ बोला है, तो आपके खिलाफ अलग से मुकदमा चलाया जा सकता है. इसमें सजा और आर्थिक दंड दोनों का प्रावधान है. इसलिए कोर्ट में हमेशा सच्चाई ही बोलें और न्याय प्रक्रिया का सम्मान करें.

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