बांग्लादेश : अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए अगरतला में प्रदर्शन, उठी सुरक्षा की मांग
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बांग्लादेश : अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए अगरतला में प्रदर्शन, उठी सुरक्षा की मांग

बांग्लादेश : अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए ‘बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए मंच’ ने रविवार को अगरतला में एक बड़ा विरोध मार्च निकाला। यह मार्च बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे भयानक अत्याचारों की निंदा करने के लिए आयोजित किया गया था। विरोध प्रदर्शन अगरतला प्रेस क्लब से शुरू हुआ, जिसमें पत्रकारों, क्लब के सदस्यों, विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों और आम जनता ने भाग लिया। मार्च का आयोजन करने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रणव सरकार ने कहा, यह हमारे विरोध का पहला चरण है। हम राज्यपाल के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे और इस आंदोलन को बड़े पैमाने पर जारी रखेंगे। जुलूस शहर की सड़कों से होते हुए अगरतला में रवींद्र भवन के सामने समाप्त हुआ।

Highlight :

  • बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ विरोध मार्च
  • प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की
  • सभी ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा की मांग की

अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को तत्काल समाप्त करने की मांग

प्रेस क्लब के अध्यक्ष जयंत भट्टाचार्य ने बांग्लादेशी सरकार में बदलाव के बाद अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों पर बढ़ते हमलों की गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को कमजोर करने की जानबूझकर योजना बनाई जा रही है। सरकार को अल्पसंख्यकों के जीवन और अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। गौड़ीय मठ, अगरतला के बैष्णब वक्ति कमल गोस्वामी महाराज ने भी रैली में भाग लेते हुए कहा, हमारी रैली का उद्देश्य बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों का विरोध करना है। हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को तत्काल समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।

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कानून-व्यवस्था की स्थिति में तेजी से गिरावट

यह प्रदर्शन बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना के 5 अगस्त को अचानक इस्तीफे के बाद से हुआ, जिसके कारण उनकी 15 साल की सत्ता समाप्त हो गई। इस घटनाक्रम के बाद से हिंदू घरों, मंदिरों और व्यवसायों पर हमलों की कई रिपोर्टें सामने आई हैं। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय सबसे बड़ा अल्पसंख्यक धर्म है। नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने 8 अगस्त को पदभार संभाला, लेकिन उसके बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति में तेजी से गिरावट आई। 13 अगस्त को, अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं ने यूनुस से मुलाकात की और अपने घरों, व्यवसायों और मंदिरों पर हो रहे हमलों के बारे में चिंता जताई।

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पीएम ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का किया आह्वान

बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूनुस से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया और अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में हिंदुओं की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों पर यह विरोध प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो कि बांग्लादेश में बढ़ती सांप्रदायिकता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की गंभीर चिंता को दर्शाता है।

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