अयोध्या में विवादित जमीन की निगरानी के लिए देश की शीर्ष अदालत भी बेहद गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अयोध्या की विवादित जमीन की निगरानी के लिए दो न्यायमूर्ति को पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) नियुक्त होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा है कि वह 10 दिन में दो न्यायमूर्ति को ऑब्जर्वर नियुक्त करें। इनमें जिला जज, अतिरिक्त जज या स्पेशल जज हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने छह जिलों के जजों की सूची इलाहाबाद हाईकोर्ट को वापस भेजी है। इस बारे में बाबरी मस्जिद के पैरोकार मोहम्मद हाशिम की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया।
कपिल सिब्बल ने मांग की थी कि पहले के ऑब्जर्वर टीएम खान और एसके सिंह को इस पद पर ऑब्जर्वर रहने दिया जाए। सिब्बल ने कहा कि यह बीते 14 वर्ष से ऑब्जर्वर हैं। इस कारण ही बेहतर होगा कि उनसे पूछ लिया जाए कि क्या वे ऑब्जर्वर बना रहना चाहते हैं या नहीं।
शीर्ष अदालत ने 11 अगस्त को कहा था कि वह लंबे समय से लंबित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद में पांच दिसंबर से सुनवाई करेगी। न्यायालय में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ कुल 13 अपीलों पर सुनवाई होनी हैं। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाडा और भगवान राम लला के बीच बराबर बांटने का निर्देश दिया था।