पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन को अपूर्णीय क्षति बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि उनका जीवन विवादों से परे रहकर राजनीति में काम करने का एक अनुपम उदाहरण है। भारत के सर्वाधिक सम्मानित राजनेताओं में एक पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में सोमवार की शाम निधन हो गया।
गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार ट्विटर पर एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा, “भारत रत्न’’ प्रणब मुखर्जी ने लंबे समय तक भारतीय राजनीति में न सिर्फ योगदान दिया, बल्कि उसे समृद्ध भी किया। उन्होंने कहा, ‘‘प्रणब दा आज हमारे बीच नहीं हैं। सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के लिए उनका निधन एक अपूर्णीय क्षति है। जो राजनीति में आना चाहते हैं और यह सीखना चाहते है कि विवादों से परे रहकर कैसे काम किया जा सकता है तो उन्हें प्रणब मुखर्जी के जीवन का बारीकी से अभ्यास करना चाहिए।”
For decades, Former President, Bharat Ratna Shri Pranab Mukherjee ji worked relentlessly towards strengthening the nation. Be it in government or in opposition, he took everyone along.
His immense contributions will never be forgotten.
My deepest condolences. pic.twitter.com/5dFvaPWIFb
— Amit Shah (@AmitShah) September 1, 2020
उन्होंने कहा कि चाहे पक्ष हो या विपक्ष बतौर सांसद उनके भाषणों ने देश को हमेशा एक नई दिशा दी। नीतियों के निर्धारण की कटु आलोचना करनी हो या स्वयं नीति निर्धारण करना हो, हर बात में मुखर्जी का कौशल दिखाई देता था। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में इतना लंबा योगदान करना उनकी अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। राजनीति में आने वाले हर युवा के लिए उनका जीवन प्रेरणादायी रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘जब सत्ता में थे तो विपक्ष के लोगों के साथ तालमेल बिठाने का काम करते रहे। जब विपक्ष में रहे तो रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने में वे कभी पीछे नहीं हटे।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुखर्जी जब भारत के राष्ट्रपति बने तो उस पद की गरिमा को भी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राष्ट्रपति भवन को आम आदमी के लिए खोलना उनका बहुत बड़ा फैसला था।
पूर्व राष्ट्रपति का सोमवार की शाम दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें गत 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी दिन उनके मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी। मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे।
उन्होंने इंदिरा गांधी, पी वी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह जैसे प्रधान मंत्रियों के साथ काम किया। पश्चिम बंगाल में जन्में मुखर्जी को चलता फिरता ‘इनसाइक्लोपीडिया’ कहा जाता था और हर कोई उनकी याददाश्त क्षमता, तीक्ष्ण बुद्धि और मुद्दों की गहरी समझ का मुरीद था।