अहमदाबाद में एयर इंडिया का विमान क्रैश हुआ, जिसमें कई यात्रियों के हताहत होने की आशंका है। विमान के पंखों में स्थित ईंधन टैंक से लीक होने वाला ज्वलनशील ईंधन चिंगारी से आग का कारण बनता है। विंग्स के पास बैठे यात्रियों को सबसे ज्यादा खतरा होता है।
गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया के एक यात्री विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर ने सभी को हिला दिया है। बताया जा रहा है कि विमान टेकऑफ के तुरंत बाद ही मेघानीनगर इलाके में क्रैश हो गया, जिसके बाद आसमान में धुएं का गुबार उठता देखा गया। इस हादसे में कई यात्रियों के हताहत होने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर विमान में ईंधन टैंक कहाँ होता है और क्रैश के बाद इतनी भीषण आग क्यों लग जाती है? अधिकांश यात्री विमानों में ईंधन टैंक पंखों (विंग्स) में स्थित होता है। विमान के डिजाइन के अनुसार, पंखों के नीचे बड़े टैंक बने होते हैं, जो हजारों लीटर ईंधन स्टोर कर सकते हैं। कुछ विमानों में फ्यूल टैंक पीछे या केंद्रीय हिस्से में भी हो सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में विंग्स ही प्राथमिक स्टोरेज एरिया होते हैं।
क्रैश के बाद क्यों लगती है आग?
विमान के क्रैश होने पर ईंधन टैंक से पेट्रोल या जेट फ्यूल लीक होने लगता है। यह ईंधन अत्यधिक ज्वलनशील होता है और थोड़ी सी चिंगारी से ही भीषण आग लग सकती है। विमान के इंजन, इलेक्ट्रिकल सिस्टम या धातु के टुकड़ों के आपस में टकराने से चिंगारी पैदा हो सकती है, जो फ्यूल के संपर्क में आते ही विस्फोटक आग का रूप ले लेती है।
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किन यात्रियों को सबसे ज्यादा खतरा?
विमान दुर्घटना में वे यात्री सबसे ज्यादा असुरक्षित होते हैं जो विंग्स के पास बैठे होते हैं, क्योंकि ईंधन टैंक के फटने या लीक होने की स्थिति में आग सबसे पहले उसी हिस्से में फैलती है। हालांकि, क्रैश की गंभीरता के आधार पर पूरा विमान आग की चपेट में आ सकता है।