तीन तलाक पीड़ित महिला भी पति से कर सकती है गुजारा भत्ता की मांग, SC का बड़ा फैसला A Woman Who Has Been A Victim Of Triple Talaq Can Also Demand Alimony From Her Husband, SC's Big Decision
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तीन तलाक पीड़ित महिला भी पति से कर सकती है गुजारा भत्ता की मांग, SC का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि, मुस्लिम महिल अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है। इस मामले पर याचिकर्ता के वकील वसीम कादिर ने कहा कि, यह एक ऐतिहासिक फैसला है। जो हिंदू मुस्लिम दोनों समुदाय की महिलाओं को कवर करता है। उन्होंने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता की मांग पर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत फैसला सुनाया है। कोर्ट ने लैंड मार्क निर्णय करते हुए महिलाओं को सशक्त किया है। यह फैसला सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में नहीं दिया गया है, बल्कि यह कॉमन फैसला है, जो महिलाओं के स्टेटस को बढ़ाता है। उन्होंने बताया, कोर्ट ने कहा कि, पति-पत्नी का अगर तलाक नहीं हुआ है और वो साथ रह रहे हैं, तो उनका ज्वाइंट बैंक अकाउंट होना चाहिए। पत्नी के खर्चे के लिए उसमें पैसे जमा किए जाने चाहिए। कोर्ट के फैसले में ऐसा ऑब्जर्वेशन पहले कभी नहीं हुआ।

  • सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया
  • कोर्ट ने कहा, मुस्लिम महिल अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है
  • याचिकर्ता के वकील वसीम कादिर ने कहा कि, यह एक ऐतिहासिक फैसला है

मुस्लिम व्यक्ति ने हाईकोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती



भविष्य में इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देने के सवाल पर वकील ने कहा कि, इसमें चैलेंज करने की बात क्या है? अगर कोर्ट ने कहा है कि हाउस वाइफ के पास कोई सोर्स ऑफ इनकम नहीं है, तो उसका ज्वाइंट अकाउंट खोला जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का यह जजमेंट, हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय की महिलाओं को कवर करता है। साथ ही यह सिर्फ तलाकशुदा स्थिति तक सीमित नहीं है. बल्कि साथ रहने के दौरान भी कुछ डायरेक्शन दिए गए हैं। दरअसल, तेलंगाना के एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी तलाकशुदा पत्नी को भत्ते के रूप में 10 हजार रुपये देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा कि, सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुस्लिम महिला तलाक के बाद अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है।

CRPC की धारा 125 हर महिला के लिए- जस्टिस नागरत्ना



जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा कि समर्थ होने पर कोई शख्स अपनी पत्नी, बच्चे या माता-पिता के भरण-पोषण से इनकार नहीं कर सकता। ऐसा करने पर अदालत उसे भरण-पोषण के लिए मासिक भत्ता देने का आदेश दे सकती है। अदालत के फैसले पर तीन तलाक के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाली सहारनपुर निवासी सुप्रीम कोर्ट की वकील फराह फैज ने कहा कि तीन तलाक पीड़ित महिला अपने पति से खुद के लिए व अपने बच्चों के भरण पोषण के लिए भत्ते की मांग कर सकती है। वकील फराह फैज ने कहा, CRPC की धारा 125 हर महिला के लिए है। इसमें 10 हजार रुपया महीना गुजारा भत्ता तय किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिए अपने फैसले में कहा कि धारा 125 के मुताबिक गुजारा भत्ता 1986 एक्ट मुस्लिम वूमेन प्रोटेक्शन लाइफ ऑफ़ मैरिज के आधार पर मुस्लिम महिला गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है। शरीयत का हवाला देते हुए फराह फैज ने कहा कि शरीयत में भी कहा गया है जब आप किसी महिला को तलाक दे रहे हैं और अगर आपका तलाक हो जाता है, आप किसी महिला को अपने घर से विदा करते हैं, तो उसका स्त्री धन आपको वापस करना होगा। फैज ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद महिलाओं को बहुत सहूलियत हो जाएगी, तलाक के बाद उनके भरण पोषण का संकट खत्म हो जाएगा।

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