विश्वविख्यात तबला वादक एवं पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का रविवार की देर रात निधन हो गया। आज सुबह उनके परिवार ने इस सूचना की पुष्टि की है। परिवार वालों ने बतााया है कि हुसैन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से ग्रसित थे। वे दो हफ्ते से सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में भर्ती थे। वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें, जाकिर का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उनको 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण, 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी, मां का नाम बावी बेगम था। पिता अल्लारक्खा भी बड़े तबला वादक थे। जाकिर की शुरुआती पढ़ाई मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी। उन्होंने ग्रेजुएशन सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया था।
महज 11 की उम्र में अमेरिका में किया था पहला कॉन्सर्ट
उन्होंने महज 11 की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था। 1973 में पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया था। उनको 2009 में पहला ग्रैमी अवॉर्ड मिला था। 2024 में अलग-अलग 3 एल्बम के लिए 3 ग्रैमी जीते हैं। उन्होंने 4 ग्रैमी अवॉर्ड जीते हैं।
The tweet (screenshot attached) is being deleted as the original tweet by Ministry of Information and Broadcasting has been deleted. An update or official confirmation from family, hospital or the consulate in San Fransisco (where there are reports he is undergoing health… pic.twitter.com/tgYImopnew
— ANI (@ANI) December 15, 2024
बर्तनों पर बजाने लगते थे धुन
जाकिर में बचपन से धुन बजाने का हुनर था। वे कोई भी सपाट जगह देख उंगलियों से धुन बजाने लगते थे। किचन में जाकर तवा, हांडी और थाली आदि जो मिलता वे उस पर हाथ फेरने लगते थे। शुरुआती दिनों में वो ट्रेन में यात्रा करते थे। पैसों की कमी के चलते जनरल कोच में बैठते थे। सीट न मिलने पर फर्श पर अखबार बिछाकर सोया करते थे। तबले के प्रति इतना सम्मान था कि उसे अपनी गोद में लेकर सोते थे, ताकि तबले में किसी का पैर नहीं लगे।
‘जिंदगी में बहुत पैसे कमाएं, पर पहली कमाई 5 रुपए सबसे कीमती’
जाकिर 12 साल के थे, तब पिता के साथ कॉन्सर्ट में गए थे। उसमें पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, पंडित शांता प्रसाद, पंडित किशन महाराज जैसे दिग्गज पहुंचे थे। जाकिर पिता के साथ स्टेज पर गए और फिर परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद उनको 5 रुपए मिले थे। उन्होंने बताया था कि मैंने अपने जीवन में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वे 5 रुपए सबसे कीमती थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में बुलाया था
अमेरिका में भी जाकिर को बहुत सम्मान मिला है। 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट के लिए व्हाइट हाउस में बुलाया था। जाकिर पहले इंडियन म्यूजिशियन थे, जिन्हें यह इनविटेशन मिला था। हुसैन ने फिल्मों में एक्टिंग भी की है। उन्होंने 1983 में ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट से डेब्यू किया था। फिल्म में शशि कपूर भी थे। जाकिर ने 1998 की फिल्म साज में भी काम किया है। इसमें हुसैन के अपोजिट शबाना आजमी थीं।
फिल्म मुगल-ए-आजम में ऑफर हुआ था रोल
जाकिर को फिल्म मुगल-ए-आजम (1960) में सलीम के छोटे भाई का रोल भी ऑफर हुआ था। मगर, पिता उस्ताद अल्लारक्खा ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। वे कहना था कि उनका बेटा संगीत पर ध्यान दे।
एंटोनिया मिनेकोला से की है शादी
जाकिर हुसैन ने कथक नृत्यांगना एंटोनिया मिनेकोला से शादी की है। वो उनकी मैनेजर भी हैं। उनकी दो बेटियां हैं।
कब-कौन से अवॉर्ड से नवाजे गए?
1990 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1990 में इंडो-अमेरिकन अवार्ड, 2006 में मध्य प्रदेश सरकार ने कालिदास सम्मान से नवाजा, 2009 में ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट के लिए कंटेंपरेरी वर्ल्ड म्यूजिक एल्बम का ग्रैमी, 2012 कोणार्क नाट्य मंडप ने गुरु गंगाधर प्रधान लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, 2019 में संगीत नाटक अकादमी ने अकादमी रत्न पुरस्कार से नवाजा, 2022 में मुंबई यूनिवर्सिटी ने संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टर ऑफ लॉ की मदद से नवाजा, 2024 में तीन एल्बम के लिए तीन ग्रैमी अवॉर्ड मिल हैं।
जाकिर के सबसे पॉपुलर एल्बम
1977 में फेस टू फेस, 1987 में मेकिंग म्यूजिक, 1991 में प्लेनेट ड्रम, 1993 में साउंडस्केप्स, 1994 में उस्ताद अमजद अली खान एंड जाकिर हुसैन, 1995 में रिमेंबरिंग शक्ति, 1998 में साज, 2002 में दी ट्री ऑफ रिदम, 2007 में ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट, 2023 में एज वी स्पीक।