मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर पर सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार और दस राज्यों से जवाब मांगा है कि लिंचिंग को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। मॉब लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इसे रोकने के लिए 2018 के कोर्ट के दिशानिर्देशों पर सख्ती से लागू करने की मांग की गई है.
बीते वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग मले में केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी किया था. याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकारों ने ऐसी भीड़ हिंसा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी 10 सूत्रीय निर्देश का पालन नहीं किया है।कोर्ट ने बीते वर्ष मॉल लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए इसे रोकने के लिए कुछ कदम बताए थे।
इनमें से एक कदम कोर्ट ने ऐसे अपराधों से निपटने के लिए कड़ाई से कानून का पालन करना बताया गया था, जो कानून के सिद्धांत और देश के सामाजिक तानेबाने के लिए खतरा है।मॉब लिंचिंग और गौरक्षा के नाम पर होने वाली हत्याओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता.चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली एक बेंच ने शुक्रवार को केन्द्र, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान समेत 10 राज्यों को याचिका पर कार्रवाई को लेकर नोटिस जारी किया गया।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह नोटिस उस वक्त जारी किया गया जब हस्तियों को दो ग्रुप ने पत्र बनाम पत्र की लड़ाई छिड़ गई है। पहले, 49 हस्तियों जिनमें कलाकारों, बुद्धिजीवियों और पेशेवरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पत्र लिखा। इसमें दलित ,मुस्लिम और बाकि समुदायों के खिलाफ हो रही लिंचिंग पर रोक की मांग की गई। वही, सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।