तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा है कि तिब्बती मुद्दा अब राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष नहीं रहा। बहरहाल, दलाई लामा ने इस पर जोर दिया कि तिब्बत की सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी पहचान के संरक्षण पर ध्यान देने की जरुरत है। दलाई लामा ने सवाल किया कि राजनीतिक स्वतंत्रता मुख्य तौर पर लोगों की खुशी के लिए होती है लेकिन क्या वह अकेले खुशी की गारंटी हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘चीन में शीर्ष नेताओं में यह भावना बढ़ रही है कि उनकी नीतियां तिब्बत मुद्दे को गत 70 वर्षों में हल नहीं कर पायी हैं। इसलिए उन्हें अधिक यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। यद्यपि तिब्बत एक स्वतंत्र देश था आज चीन का तिब्बत पर राजनीतिक रूप से कब्जा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान परिस्थितियों में मैं कुछ समय से कह रहा हूं कि तिब्बत की सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी पहचान के संरक्षण पर ध्यान देने की जरुरत है। अब यह राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष नहीं रहा।’’
दलाई लामा से यह साक्षात्कार हिमाचल प्रदेश के मैकलोडगंज में लिया गया। उन्होंने इसमें यह भी कहा कि तिब्बती लोग जब तक अपनी हजारों वर्ष पुरानी विरासत, धर्म और पहचान को संरक्षित रख पाएंगे, वह उन्हें आंतरिक शांति और खुशी प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसके लिए भारतीय संघ की उसकी विविधता में एकता की प्रशंसा करता हूं। इसी तरह से तिब्बत की सांस्कृतिक, भाषायी और धार्मिक पहचान को बरकरार रखते हुए चीनी जन गणराज्य और तिब्बत सह अस्तित्व में रह सकते हैं।