जल के बेहतर प्रबंधन के लिए ‘रिवर बेसिन प्रबंधन बिल’ लाने की तैयारी : शेखावत - Punjab Kesari
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जल के बेहतर प्रबंधन के लिए ‘रिवर बेसिन प्रबंधन बिल’ लाने की तैयारी : शेखावत

प्रस्तावित विधेयक में रिवर बेसिन प्राधिकार गठित करने की बात कही गई है जिसका उद्देश्य अंतरराज्यीय नदी बेसिन

जल के बेहतर प्रबंधन और अंतरराज्यीय बेसिन में जल विवादों को निपटाने के मकसद से सरकार गंगा नदी के साथ-साथ दर्जनभर अन्य नदियों के लिए ‘रिवर बेसिन प्राधिकार’ बनाने की पहल कर रही है और शीघ्र ही इस उद्देश्य के लिये ‘रिवर बेसिन प्रबंधन विधेयक’ लाने की तैयारी है। 
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि रिवर बोर्ड एक्ट बनाने का विषय इतने वर्षो से लंबित पड़ा है। ‘‘हमने इस दृष्टिकोण से वर्तमान समय में प्रासंगिक और ज्याद प्रभावशाली ‘रिवर बेसिन प्रबंधन विधेयक’ तैयार किया है। आने वाले समय में शीघ्र ही इस विधेयक को संसद में पेश करेंगे।’’ 
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इस मसौदा विधेयक में जिन नदियों के लिए रिवर बेसिन अथॉरिटी का गठन किया जाना है उनमें गंगा बेसिन, गोदावरी बेसिन, ब्रह्मपुत्र-बराक और पूर्वोत्तर की अन्य नदियों के बेसिन, ब्रह्माणी – वैतरणी बेसिन, कावेरी बेसिन, सिंधु बेसिन, कृष्णा बेसिन, महानदी बेसिन, माही बेसिन, नर्मदा बेसिन, पेन्नार बेसन, स्वर्णरेखा बेसिन और तापी बेसिन शामिल हैं। 
बेसिन का आशय एक ऐसे भौगोलिक क्षेत्र से है जिसमें एक मुख्य नदी और उसकी सहायक नदियां प्रवाहित होती है और यह नदी जाकर समुद्र से मिलती है। प्रस्तावित विधेयक में रिवर बेसिन प्राधिकार गठित करने की बात कही गई है जिसका उद्देश्य अंतरराज्यीय नदी बेसिन का विकास, प्रबंधन और नियमन है। 
प्राधिकार को रिवर बेसिन मास्टर प्लान तैयार करना है। इसके तहत संरक्षित क्षेत्र की पहचान करना, मानव के हस्तक्षेप के प्रभाव का आकलन करना, पर्यावरण जरूरतों के मूल्यांकन के अलावा भूजल का आकलन जैसे विषय शामिल हैं। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में 2008 में रिवर बेसिन ऑर्गेनाइजेशन बनाने की सिफारिश की थी। 
प्रस्तावित कानून रिवर बोर्ड एक्ट 1956 का स्थान लेगा जो काफी पुराना हो चुका है। इसके तहत जो भी नदी बेसिन प्राधिकरण बनाए जाएंगे उनकी प्रत्येक की एक संचालन परिषद होगी जिसमें उस नदी बेसिन में आने वाले राज्यों के मुख्यमंत्री बतौर सदस्य शामिल होंगे।
ये मुख्यमंत्री बारी-बारी से इस काउंसिल के अध्यक्ष का पदभार संभालेंगे। इस प्रस्तावित विधेयक के तहत जल को साझा सामुदायिक संसाधन के रूप में प्रबंधन करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा जल की मांग के प्रभावी प्रबंधन और इसकी बर्बादी रोकने के उपाय भी करने पर जोर दिया गया है। 

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