रायपुर : छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार की तीसरी पारी के अंतिम दौर में एक बार फिर में जाने की कवायद नज़र आ रही है। राज्य में सत्ताधारी दल के साथ विपक्ष भी चुनावी कवायदों पर ही फोकस किए हुए है। यही वजह है कि प्रदेश का सियासी गलियारा अब पूरी तरह चुनावी मोड में नजर आने लगा है।
सत्ताधारी दल की ओर से सभी सीटों को लेकर फोकस करने की रणनीति है। इसके लिए सरकार और संगठन ने मिलकर रोड मैप बनाया है। जरूरत के मुताबिक क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति देने की भी तैयारी हो रही है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष की ओर से भी सत्ताधारी दल के विजय रथ पर ब्रेक लगाने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जा रही है। राज्य में आदिवासी एवं दलित समीकरणों को लेकर इस बार दोनों ही दलों में नए सिरे से ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है। ब्लूप्रिंट के आधार पर ही संबंधित क्षेत्रों में व्यूह रचना की जा रही है।
आदिवासी सीटों के साथ दलित सीटों में फतह करना भी एक तरह से सत्ता की राह आयान करता रहा है। मैदानी क्षेत्रों में परंपरागत वोटों और पुराने समीकरणों के आधार पर ही टकराव होता रहा है। तीन बार से सत्ता में काबिज भाजपा के खिलाफ कांग्रेस इस बार एंटी इंकमबेंसी फैक्टर को हवा देने की तैयारी में जुटी हुई है। सरकार के भ्रष्टाचार और नाकामियों को उछाल कर बैकफुट में धकेलने रणनीति बनी है।
इसी दिशा में विपक्ष ने आगे बढऩा भी शुरू किया है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में विकास के मुद्दे को लेकर रमन सरकार एक बार फिर चुनावी नैया पार लगाने जोर दे रही है। दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़ तक विकास के मुद्दों को सामने रखते हुए मतदाताओं से समर्थन मांगने की तैयारी है। चुनावी वर्ष में घमासान और तेज होता जाएगा। वहीं राज्य पूरी तरह चुनावी मोड में आने के बाद हवा के रूख को भांपने के साथ अपनी तरफ दिशाा मोडऩे की भी कोशिशें होगी। राजनीतिक प्रेक्षकों ने इस बार किसी भी दल की राह आसान नहीं होने के अनुमान लगाए हैं।
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