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कांग्रेस ने अमित शाह के J&K में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने वाले प्रस्ताव का किया विरोध

मनीष तिवारी ने सरकार से सवाल किया कि जब हाल में राज्य में लोकसभा शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव

कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ाने से जुड़े सरकार के कदम का विरोध करते हुए शुक्रवार को कहा कि इस ‘संवेदनशील राज्य’ में निर्वाचित सरकार का नहीं होना देशहित में नहीं है। उन्होंने सरकार से पूछा कि जब राज्य में लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हो सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करवाए जा सकते? 
राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने यह आरोप लगाया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से राज्य के लोगों में खुद को अलग-थलग महसूस करने का भाव बढ़ा है। 
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उन्होंने कहा कि कांग्रेस इसका पूरा समर्थन करती है कि सरकार आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ सख्ती दिखाए, लेकिन साथ ही राज्य के लोगों को साथ लेने की कोशिश करे। मनीष तिवारी ने सरकार से सवाल किया कि जब हाल में राज्य में लोकसभा शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव करवाये गये तो फिर वहां विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करवाये जा सकते? 
मनीष तिवारी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मशहूर कथन ‘इंसानियत, जम्मूरियत और कश्मीरियत’ का उल्लेख करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब जनता साथ होगी। इसलिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के साथ जम्मू-कश्मीर की जनता का विश्वास भी जीतना होगा। 
उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों और घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में फिलहाल जो स्थिति है उसकी बुनियादी उस वक्त पड़ी जब 2015 में वैचारिक रूप से बेमेल भाजपा और पीडीपी की सरकार बनी। मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक संवेदनशील राज्य है और ऐसे में यहां निर्वाचित सरकार का नहीं होना देशहित में नहीं है। 

लोकसभा में अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव किया पेश

उन्होंने कहा कि 1971 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान के दो टुकड़े किए गए जिसके बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब में हस्तक्षेप करना शुरू किया। कांग्रेस की सरकार ने पंजाब से आतंकवाद खत्म किया। तिवारी ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ सभी को मिलकर लंबी लड़ाई लड़नी होगी। 
उन्होंने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 के संदर्भ में कहा कि इस विधेयक की भावना का समर्थन करते हैं, लेकिन इसे जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पारित होता तो बेहतर होता क्योंकि यह उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने राष्ट्रपति शासन छह महीने बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया, हालांकि उन्होंने आरक्षण विधेयक का समर्थन किया। 
उन्होंने सवाल किया कि जब लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हो सकते हैं तो फिर विधानसभा चुनाव क्यों नहीं हो सकते? प्रेमचंद्रन ने कहा कि जब भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन खत्म किया तो कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने पीडीपी को समर्थन दिया, लेकिन इस गठबंधन को मौका नहीं दिया गया और जल्दबाजी में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 

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