भारतीय ज्योतिष में शनि को न्यायाधीश की पदवी प्राप्त है। अर्थात् शनि अपनी विंशोत्तरी दशा, अन्तर दशा या फिर साढ़े साती में हमारे इस जन्म और पूर्व जन्म के पुण्य और पापों के आधार पर फल देता है। यदि हमारी जन्म कुंडली में शनि उच्च राशि का है तो भी वह अपनी दशा में खराब फल दे सकता है। लेकिन यह तभी होता है जब कि पापों की तुलना में पुण्य की मात्रा कम हो। अन्यथा नीच राशि का शनि भी व्यक्ति को तरक्की देकर पद और प्रतिष्ठा दे देता है।
किसके पुत्र हैं शनि देव
शास्त्रों के अनुसार शनि महाराज को सूर्य का पुत्र माना जाता है। शनि मकर और कुंभ राशि के संयुक्त स्वामी हैं। तुला राशि में उच्चस्थ और मेष में नीचस्थ होते हैं। शुक्र ग्रह शनि का परम मित्र है और सूर्य परम शत्रु है। शनि महाराज के लिए नव ग्र्हों की फेहरिस्त में सूर्य, चन्द्रमा और मंगल शत्रु ग्रह हैं। इसी प्रकार से शुक्र, राहु और बुध मित्र है। शेष ग्रह जन्म कुंडली में शनि के आगे और पीछे के भावों के आधार पर मित्र या शत्रु बनते हैं। शनि की पूर्ण दृष्टियां तीसरी, सातवीं और दसवीं होती हैं। शनि की दृष्टि अशुभ मानी जाती है। लेकिन इसके विपरीत शनि जिस भाव में पड़ते हैं उस भाव की वृद्धि करते हैं अर्थात् उस भाव से संबंधित शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कब है शनि जयंती
शास्त्रों में ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाने का विधान है। विक्रम संवत् 2082 के ज्येष्ठ मास की अमावस्या का आरम्भ कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को आरम्भ होगा। चतुर्दशी तिथि 26 मई 2025 को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। उसके बाद अमावस्या तिथि का आरम्भ हो जायेगा। लेकिन सूर्योदयी अमावस्या तिथि अंग्रेजी तारीख के आधार पर 27 मई 2025 को आयोज्य होगी। इस दिन अमावस्या तिथि प्रातः 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। लेकिन जो तिथि सूर्योदय के समय होती है वही तिथि समस्त दिन के लिए मान्य होती है। इसलिए पूरा दिन ही शनि की पूजा अर्चना और ध्यान के लिए श्रेष्ठ है। यदि आप चौघड़िये मुहूर्त के अनुसार देखते हैं तो प्रातः 9 बजे से चर, लाभ और अमृत के चौघड़िये है जो कि दोपहर 2 बजे तक रहेंगे।
शनि के प्रसन्न करने के लिए क्या करें
यदि आपको शनि की दशा है तो इस शनि जयंती पर आपको अवश्य शनि के ध्यान, पूजा, मंत्र जाप और दान आदि से लाभ लेना चाहिए। शनि भगवान का तांत्रिक बीज मंत्र –
ओम प्रां प्रीं प्रों सः शनेय नमः
यह शनि का बीज मंत्र है। इसके 23000 जाप, दशांश हवन, पूजा और दान करने से शनि जनित सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। दान की प्रक्रिया जाप, हवन और पूजा के बाद करनी चाहिए।
शनि के लिए दान की लिस्ट
1 – अपनी लम्बाई के बराबर काला कपड़ा।
2 – सरसों का तेल।
3 – लोहे का बर्तन।
4 – काले रंग के फूल।
5 – नीलम या नीली उपरत्न।
6 – दक्षिणा।
7 – जूते।
8 – काले तिल।
9 – पांच या सात प्रकार के अनाज।
10 – फलों में काले अंगूर।
11 – मिठाई में काले गुलाब जामुन।
शनि का छाया दान
शनि का छाया दान बहुत प्रसिद्ध है। और इसे शनि के दानों में सर्वश्रेष्ठ दान समझा जाता है। इसे करना बहुत आसान है और यह बहुत प्रभावी भी है। छाया दान के लिए लोहे का बर्तन और सरसों के तेल का उपयोग किया जाता है। किसी चौड़े मुंह के लोहे के बर्तन में तेल डालें और उसमें अपना चेहरा देख कर किसी शनि मंदिर में दान दें। यह दान संध्या के समय या रात्रि में करना चाहिए। इस दान से गोचर की शनि जनित पीड़ा से तुरंत मुक्ति मिलती है। यदि जन्म कुंडली में शनि खराब हो और शनि की महादशा या फिर अंतरदशा चल रही हो तो इस दान के साथ ही दूसरे दान भी करें। या छाया दान सात शनिवार को लगातार करें।