श्री हनुमान जी की पूजा में मानसिक और शारीरिक शुद्धि का विशेष महत्व है। मंगलवार, शनिवार और पूर्णिमा के दिन पूजा आरम्भ करें। सिंदूर और चमेली के तेल के दीपक से हनुमान जी को प्रसन्न करें। श्री राम स्तुति के साथ पूजा आरम्भ और समाप्त करें। व्रत रखने से विशेष फल मिलता है।
इन नियमों का करें पालन तभी होगी श्री हनुमान जी की कृपा
भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी, भारत में करोड़ों लोगों के आराध्य हैं। अधिसंख्य लोग अपने दिन की शुरूआत श्री हनुमान चालीसा से करते हैं। वैसे भी भारत में श्री हनुमान जी के सबसे ज्यादा मंदिर मिल जायेंगे। भारत में ही नहीं बल्कि बाहर के देशों में भी हनुमान भक्त मिल जाते हैं। हनुमान जी को संकटमोचक कहा जाता है। जब सभी तरह से निराशा का वातावरण बन जाये तो श्री हनुमान जी की आराधना से कष्ट निवारण होते हैं। केस-मुकद्दमें, शत्रु पीड़ा, गरीबी और शारीरिक व्याधि आदि में श्री हनुमानजी की उपासना से लाभ मिलता है। आदि काल से ही श्री हनुमान जी की पूजा के लिए मंगलवार, शनिवार और पूर्णिमा तिथि को विशेष महत्व प्राप्त है। यदि आपको श्री हनुमानजी की कृपा चाहिए तो आपको इन दिनों में ही पूजा का आरम्भ करना चाहिए। इन तीन दिनों में पूजा शुरू करने से विशेष फल मिलता है। ये दिन श्री बजरंगबली को समर्पित होते हैं। और भक्त उनकी कृपा पाने के लिए व्रत, हनुमान चालीसा पाठ और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। श्री हनुमान जी की पूजा में आपको विशेष कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। इनकी उपासना बहुत सरल है और ये सिंदूर और चमेली के तेल के दीपक से ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन श्री हनुमान जी की पूजा में श्री राम स्तुति जरूर करनी चाहिए।
श्री हनुमानजी बहुत ही सात्विक देव हैं। अतः इनकी पूजा विधान में मानसिक के साथ ही शारीरिक शुद्धि भी बहुत महत्वपूर्ण है। अतः प्रातः उठकर स्नान करें। इसके बाद अपनी दैनिक पूजा विधान को पूर्ण करें। यदि संभव हो तो श्री हनुमानजी की पूजा के लिए स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें। पूजा के लिए घर का कोई एकांत कक्ष या फिर घर में ही बने मंदिर को पहली प्राथमिकता दें। यदि ऐसा संभव नहीं हो तो समीप के किसी हनुमान मंदिर में भी पूजा की जा सकती है। पहले दिन पूजा शुरू करने से पूर्व स्थल को जल से साफ करें। वहां पर सफाई के बाद गंगा जल का छिड़काव करें। पूजा की शुरूआत में श्री गणेश जी की पूजा करें। इसके श्री हनुमान जी को लाल फूल अर्पित करके सिंदूर लगाएं और मूर्ति को नया लाल चौला पहनाएं। ध्यान रखें कि श्री हनुमान जी पूजा में दीपक प्रज्ज्वलित करने के लिए चमेली का तेल सबसे अच्छा समझा गया है। सिंदूर में भी चमेली के तेल का उपयोग करना चाहिए। भोग लगाने के लिए गुड़ या बूंदी को सबसे अच्छा समझा गया है। प्रसाद के रूप में बूंदी या बूंदी के लड्डू होने चाहिए। श्री हनुमान जी श्रीराम के भक्त हैं अतः पूजा के आरम्भ और अंत में श्री रामस्तूति करनी चाहिए। श्री रामचरिमानस की कुछ चौपाइयों को भी श्री हनुमान जी को पढ़कर सुनाया जा सकता है। श्री हनुमान जी रूद्र अवतार है अतः बहुत शीघ्रता से प्रसन्न हो जाते हैं।
व्रत भी रख सकते हैं
जिस दिन पूजा का आरम्भ करते हैं उस दिन व्रत रखें। एक निश्चित समय पर फलाहार कर सकते हैं। लेकिन बार-बार फलाहार और तरल पदार्थ जैसे दूध, चाय या कॉफी नहीं लें। व्रत के दौरान अन्न के प्रयोग से बचें। यदि आप प्रतिदिन पूजा करते हैं तो पहले दिन व्रत रखें। लेकिन यदि मंगलवार, शनिवार या पूर्णिमा इन दिनों में पूजा करते हैं तो प्रत्येक पूजा के दिन व्रत रख सकते हैं। पूजा के बाद संभव हो तो ब्राह्मण भोजन करवाएं और गरीबों को दान दें। लेकिन यह जरूरी नहीं है। आप अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार कार्यक्रम बनाएं।
शारीरिक शुद्धि का विशेष महत्व है
श्री हनुमान जी की की विशेष कृपा पाने के लिए शारीरिक शुद्धि बहुत आवश्यक है। क्योंकि श्री हनुमान जी सात्विक देव हैं। श्री हनुमान जी के वृतांत में भी अशुद्ध खाद्य पदार्थों का नाम लेना या लिखना सख्त मना है। इसलिए प्रबुद्ध पाठक स्वतः संज्ञान से समझें। मैं स्वयं श्री हनुमान जी की उपासना करता हूं। इसलिए यदि आप शारीरिक और खाने पीने की वस्तुओं में शुद्धि नहीं रख पाते हैं तो कभी भी श्री हनुमान जी की शरण में नहीं जाना चाहिए। यदि आप ऐसा करेंगे तो लाभ की बजाए हानि होने की आशंका रहेगी। यहां मैं यह लिखना भी आवश्यक समझता हूं कि श्री हनुमान जी उपासना आरम्भ करने से पूर्व के दिनों में आपने कुछ अशुद्ध खाद्य पदार्थों का सेवन किया है तो उसे भूल जाएं। लेकिन जब श्री हनुमान जी की शरण में आ गये हैं तो इन चीजों को अपने जीवन से हमेशा के लिए दूर कर दें।