हमारे बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि चिंता, चिता है। कहने का अर्थ है कि चिंता या डिप्रेशन वास्तव में हमें मृत्यु की तरफ ले जाने का मार्ग प्रशस्त करती हैं। आधुनिक चिकित्सकों ने भी अपने शोध में यह सिद्ध कर दिया है कि चिंता, कलह और अशांति, न केवल शारीरिक बल्कि बौद्धिक क्षमता को भी नष्ट कर देती है। चिंता ग्रस्त व्यक्ति कभी भी ठीक से काम नहीं कर पाएगा। क्योंकि उसकी मनोदशा उसे ऐसा करने नहीं देगी। इसलिए जो व्यक्ति अपने जीवन में कोई उच्च पद पाना चाहता है या जो जीवन में कोई लक्ष्य प्राप्त करना चाहता है उन्हें हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि वे चिंता-फिक्र से हमेशा स्वयं को बचा कर रखें। लेकिन बहुत से प्रबुद्ध पाठक यह सोचते हैं कि यह बात केवल कहने में ही अच्छी लगती है कि चिंताओं से स्वयं को मुक्त रखें। जब कि चिंता या टेंशन जीवन में स्वतः ही आती है।
कोई नहीं चाहता कि उसे किसी तरह की टेंशन हो। सभी टेंशन-फ्री रहना चाहते हैं। लेकिन यह जीवन बहुत विचित्र है। इसमें हम चाहते हुए भी चिंता-मुक्त नहीं रह सकते हैं। क्योंकि हमने जीवन में बहुत सी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं पाल रखी है। लेकिन यहां मैं कहना चाहूंगा कि लक्ष्य प्राप्ति की चिंता और दूसरी चिंताओं में बहुत अंतर होता है। जो चिंता हमें गृह क्लेश, बीमारी, बुरी आदतों और घरेलु वैमनस्य के कारण होती है। दरअसल इसी तरह की चिंताओं से ही हमारी शारीरिक और बौद्धिक कार्यक्षमता पर विपरीत असर होता है। दूसरी सकारात्मक चिंताओं से इस तरह के साइड-इफेक्ट प्रायः नहीं होते हैं या फिर बहुत कम होते हैं। इसलिए नकारात्मक चिंताओं से स्वयं को मुक्त रखने का प्रयास करना चाहिए।
घर के वास्तु दोष पैदा करते हैं तनाव और डिप्रेशन
जब हम वास्तु के संदर्भ में बात करते हैं तो चिंता या अशांति का संबंध हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा से होता है। चिंता हमेशा हमारे मन-मस्तिष्क में होती है। और किसी भी भूखंड में उत्तर पूर्व का भाग अर्थात ईशान कोण वास्तु पुरुष का सिर होता है। यह तो हुई वास्तु पुरुष के आधार पर चिंता से संबंधित तथ्यात्मक बात। लेकिन डिप्रेशन होने के कारण को देखने के लिए घर के दूसरे हिस्सों या दिशाओं को भी देखना जरूरी है।
1- आमतौर पर ब्रह्म स्थान पर वास्तु दोष होने पर घर में कलह का वातावरण रह सकता है।
2- जब अग्नि कोण में वास्तु दोष हो तो घर में किसी महिला सदस्य के कारण कलह और चिंता बन सकती है।
3- जब बिजनेस में नुकसान, बैंक लोन जैसी चीजों को लेकर चिंता बनी रहे तो वायव्य कोण अर्थात उत्तर-पश्चिम भाग में वास्तु दोष होने पर ऐसा हो सकता है।
4- जब घर के मुख्य सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो तो नैर्ऋत्य कोण में वास्तु दोष हो सकते हैं। इसी प्रकार से पूर्व दिशा में वास्तु दोष हों तो बदनामी के कारण चिंता का वातावरण रह सकता है।
5- जब उत्तर की तुलना में दक्षिण दिशा में ज्यादा खाली जगह हो तो घर का कोई सदस्य बुरी आदतों का शिकार हो सकता है।
क्या उपाय करें?
1- जहां पर भी वास्तु दोष हैं वहां पर एक खादी के बारीक कपड़े में समुद्री या सादे खाने के नमक को हमेशा रखें। इस नमक को प्रति माह बदलते रहें।
2- टॉयलेट-बाथरूम को छोड़कर जहां भी वास्तु दोष है वहां पर अपने इष्ट का चित्र लगाएं। चित्र को लगाने के लिए केवल पूर्व या पश्चिम की दीवार ही प्रयोग करें। ध्यान रखें कि जहां पर टॉयलेट, बाथरूम है उसके आसपास अपने इश्ट या किसी देव या देवी का चित्र या मूर्ति नहीं लगानी चाहिए। वहां के उपाय के लिए उपरोक्त नमक का प्रयोग करें।
3- घर में यदि दीवारों पर पैंट डार्क कलर में है तो उसे सफेद, क्रीम या किसी लाईट कलर में बदलें।
4- यदि घर में कहीं पर भी कबाड़ रखा हुआ है तो उसे तुरन्त बेच देना चाहिए। कोशिश करें कि घर में ज्यादा कबाड़ या भंगार इक्कठा नहीं हो। विशेष रूम से उत्तर और पूर्व दिषा को कबाड़ से दूर रखें।
5- यदि घर के किसी एक ही सदस्य को तनाव या डिप्रेशन रहता है तो उसके रूम को बदल दें। कई बार ऐसा भी हो सकता है घर के किसी एक पॉइंट पर नेगेटिव एनर्जी ज्यादा हो, जिसके कारण उस पॉइंट पर बने ही हुए रूम में जो रहता है, उसे डिप्रेशन रह सकता है।
6- यदि आप किराए के घर में रहते हैं तो जो भी घर किराए पर लें उसे वास्तु के अनुसार देखें कि उसमें बहुत ज्यादा वास्तु दोष तो नहीं है। बहुत अधिक वास्तु दोष, विशेष तौर पर जब ईशान कोण या अग्नि कोण में वास्तु दोष हो तो ऐसे घर को किराए पर न लें। यदि ले लिया है तो जितनी जल्द हो सके उस घर को छोड़ दें। यदि आपका स्वयं का घर है तो और उसमें वास्तु दोश है तो सर्वप्रथम तो यही प्रयास करें कि उन दोशों को पूरी तरह से हटा दें यदि ऐसा करना संभव नहीं हो तो उपर दिये गए वैकल्पिक उपाय तुरन्त करें।