चमत्कारी रत्न है सुलेमानी हकीक
इस पृथ्वी पर बहुत से कीमती और अर्ध कीमती पत्थर पाये जाते हैं। पत्थरों में प्राकृतिक तौर पर शक्तियां निहित होती है। यह अलग बात है कि कुछ पत्थर बहुत कम मात्रा में उपलब्ध होने के कारण उनका मूल्य बहुत अधिक होता है। और कुछ पत्थर उतने दुर्लभ नहीं होते, इसलिए उनका मूल्य बहुत ज्यादा नहीं होता है। हालांकि पत्थर की उपलब्धता और मूल्य से पत्थर की चमत्कारी शक्तियों का कोई सामंजस्य नहीं है। सस्ता पत्थर भी जीवन को सकारात्मक रूप से बदलने की क्षमता रखता है और इसके विपरीत यदि हम बहुत कीमती पत्थर या जिन्हें हमें रत्न कहते हैं, उसे भी धारण करते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि उसका कोई लाभ हमें मिल जाए। सबसे जरूरी तो यह है कि कोई भी रत्न हमारे जीवन चक्र से सामंजस्य रखता हो, तभी वह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर पायेगा।
हीरा, नीलम, पन्ना, पुखराज और माणिक जैसे रत्न बहुत महंगे होते हैं। सभी के पास इतना बजट नहीं होता है कि वे इन रत्नों को धारण कर सके। इसके विपरीत कुछ रत्न ऐसे भी हैं जो बहुत सस्ते हैं लेकिन वे महंगे रत्नों जितना ही लाभ देते हैं। वैसे भी किसी भी रत्न को पहनने का उद्देश्य शुभ ग्रहों की पॉवर को बढ़ाना होता है। लेकिन कुछ रत्न ऐसे भी होते हैं जिनको पहनने से पाप ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम या नष्ट किया जा सकता है। ऐसे ही रत्नों में एक रत्न सुलेमानी अकीक भी है। पुरानी मान्यता है कि जिन लोगों को जीवन में सफलता नहीं मिल रही हो या जिनके जीवन में राहु, केतु, मंगल या शनि जैसे पाप ग्रहों के प्रभाव के कारण बार बार बाधाएं आती हों, उन्हें एक बार सुलेमानी हकीक को अवश्य धारण करके देखना चाहिए। मैंने अनुभव किया है कि कुछ लोगों के लिए सुलेमानी अकीक इतना अधिक प्रभावी होता है उनका जीवन पूरी तरह से बदल जाता है। हालांकि यह भी सत्य है कि सभी लोगों के लिए यह जरूरी नहीं है कि इसका 100 प्रतिशत लाभ मिले ही। लेकिन ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि यह पत्थर सकारात्मक प्रभाव जरूर दिखाता है। जिन लोगों के जन्म के समय के ग्रह बहुत खराब और अशुभ हों उन्हें इसके प्रभाव को महसूस करने में कुछ अधिक समय लग सकता है, लेकिन लाभ अवश्य होता है।
सुलेमानी अकीक क्यों पहना जाता है
वैसे तो सुलेमानी अकीक के बहुत से लाभ हैं लेकिन विशेष रूप से इसे लक्ष्मी बंधन को तोड़ने के लिए धारण किया जाता है। जादू और तंत्र-मंत्र के प्रयोग को भी नष्ट करता है।
सुलेमानी हकीक साधारण तंत्र प्रयोग को नष्ट करने की क्षमता रखता है। और यह एक तरह से विपरीत प्रत्यंगिरा के अनुष्ठान जैसा काम करता है। वैदिक ग्रंथों में लिखा है किसी भी प्रकार के वशीकरण, तंत्र-मंत्र प्रयोग और काले जादू को नष्ट करने के लिए विपरीत प्रत्यंगिरा का प्रयोग करना चाहिए। इससे निश्चित तौर पर लाभ होता है। कमोबेश कम या सूक्ष्म तौर पर यही काम सुलेमानी हकीक भी करता है। जो लोग बार-बार जीवन में विफल हो रहे हैं उनके प्रभाव में वृद्धि करता है और बिजनेस में हो रहे नुकसान को रोक देता है या कम कर देता है। आत्मविश्वास बढ़ाता है। दुश्मनों से बचाव करता है। मान और सम्मान की प्राप्ति होती है। समाज में आपकी बात सुनी जाती है। स्वास्थ्य लाभ होता है। यदि कुंडली में पाप ग्रहों की दशा है तो उनके प्रभाव को कम करता है। एक खास बात और भी है कि सुलेमानी हकीक चूंकि उपरत्न है इसलिए इसे कोई भी धारण कर सकता है। क्योंकि यह बहुत महंगा रत्न नहीं है। सभी के बजट में आ जाता है। यह एक तरह से आयुर्वेदिक औषधि की तरह काम करता है। हो सकता है कि फायदा आपको कम हो लेकिन नुकसान बिल्कुल नहीं करेगा। महिलाएं और बच्चे भी धारण कर सकते हैं।
अच्छे सुलेमानी हकीक की पहचान
आमतौर पर गहरा काला और उस पर बाल जैसी बारीक सफेद रेखाओं वाले सुलेमानी हकीक को सबसे उत्तम माना जाता है। यह दिखने में पर्याप्त मुलायम और चमकीला होना चाहिए। गढ़ेदार और बेमेल आकार का अकीक अच्छा नहीं समझा जाता है। इस पर जो रेखाएं होती हैं वे सभी दोनों तरफ समान होनी चाहिए। इन रेखाओं को बीच में से टूटना नहीं चाहिए और अधिक चौड़ा और छितरा नहीं होना चाहिए।
किस फार्म में धारण करें
सुलेमानी हकीक को जहां तक संभव हो लॉकेट या ब्रेसलेट में धारण करना चाहिए। हालांकि यह अंगूठी में भी पहना जा सकता है। लेकिन उस स्थिति में आपको वजन 15 कैरेट से कम रखना होगा। यदि अंगूठी में धारण करना हो तो इसका वजन 7 से 15 कैरेट तक हो सकता है। अंगूठी के लिए दायें हाथ की मध्यमा, अनामिका या कनिष्ठिका अंगुली सबसे शुभ मानी जाती है। यदि आप सुलेमानी अकीक को लॉकेट या ब्रेसलेट में पहनते हैं तो उसे कम से कम 15 कैरेट या उससे अधिक वजन का होना चाहिए। इस स्थिति में आप इसका पूरा लाभ ले पाते हैं। जहां तक धातु की बात है तो किन्ही दो धातुओं के मिश्रण में सुलेमानी अकीक को पहनना चाहिए। कांस्य या पंचधातु में यह सबसे ज्यादा प्रभावी होता है। यदि यह संभव नहीं हो तो चांदी या सोने में भी बनवा सकते हैं।
कैसे और किस मुहूर्त में पहने
सुलेमानी हकीक को धारण करने के लिए शुक्रवार सबसे अच्छा दिन समझा जाता है। इसके अलावा बुधवार या शनिवार को भी धारण कर सकते हैं। अंगूठी, लॉकेट या ब्रेसलेट को धारण करने से पूर्व कम से कम एक रात्रि तक उसे किसी अनाज में रखना चाहिए। फिर उसे निकाल कर कच्चे दूध या गंगा जल से स्वच्छ करके धारण करें। विस्तृत मुहूर्त के लिए आप संस्था से संपर्क करें या स्थानीय विद्वान से घटिका मुहूर्त पता कर सकते हैं।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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