कुंडली से जानें कब बनेगा आपके सपनों का महल? Know From Your Horoscope When The Palace Of Your Dreams Will Be Built?
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कुंडली से जानें कब बनेगा आपके सपनों का महल?

आम जन अपने संपूर्ण जीवन में जमा पूंजी मिलाकर लगभग वृद्धावस्था में ही समान्य सा घर ही बना पाते हैं। और इसके अलावा बड़ी संख्या में वे लोग भी हैं जो अपने घर का सपना आंखों में लिये ही इस दुनिया से रूखसत हो जाते हैं। यही कारण है कि ज्योतिष में भवन निर्माण के योग को बहुत महत्व प्राप्त है। वास्तु शास्त्र के अनुसार भी किसी के लिए भी एक अदना सा घर जीवन की एक बड़ी घटना होती है। भारत में 140 करोड़ से भी अधिक लोग रहते हैं। इस राष्ट्र में आज भी करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके पास रहने के लिए आवास नहीं है। शहरों की झोपड़पट्टी से लेकर दूरदराज के गांवों में किसी छप्पर के नीचे रहने वाले इसी श्रेणी में आते हैं।

भवन निर्माण और ज्योतिष

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जन्म कुंडली का चौथा भाव किसी के लिए भी उसका घर होता है। वहां जैसे ग्रह हों या चौथे घर का स्वामी जिस स्थिति में हो उसके आधार पर ही व्यक्ति को रहने के लिए आवास प्राप्त होता है। यदि चतुर्थ भाव शुभ ग्रहों से युक्त हो और चतुर्थेश भी शुभ भाव में पड़ा हो तो व्यक्ति अपने जीवन में कई घरों का निर्माण करता है। यह स्थिति तो कुंडली में चौथे भाव के अनुसार बनती है। इसके अलावा सभी चीजों के कारक ग्रह भी होते हैं उनकी स्थिति भी देखनी चाहिए। जैसे घर का कारक शुक्र है और भूखंड का कारक मंगल है। इन दोनों की स्थिति भी अनुकूल होनी चाहिए। मंगल यदि दशम भाव में स्थित हो और तुला राशि में शुक्र चतुर्थ भाव में हो तो सुंदर घर का योग बनता है। लेकिन जिन जातकों के चतुर्थ भाव का स्वामी आठवें भाव में चला जाए तो यह योग्य निजी भवन प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करता है।

सुन्दर घर के योग

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यदि लग्नेश और चतुर्थेश की युति शुभ राशि और शुभ घर में हो तो जातक को सुंदर घर मिलता है। यदि चतुर्थ में राहु या शनि या दोनों हो तो वृद्धावस्था में सामान्य घर उपलब्ध होता है। चतुर्थ भाव और उसका स्वामी जितना अधिक बलवान और शुभ और शुभ स्थिति में होगा जातक को उसी तुलना में सुन्दर घर की प्राप्ति होती है। हमेशा ध्यान रखें कि चतुर्थ भाव और घर के कारक शुक्र पर काफी कुछ निर्भर करता है।

  • चौथे भाव से नवग्रहों का संबंध और उसके परिणाम
  • जब सूर्य संबंध चौथे भाव से हो तो घर के सुख में बाधा आती है।
  • जब चंद्रमा का संबंध चौथे भाव से हो तो युवावस्था में ही घर की प्राप्ति संभव हो जाती है।
  • जब मंगल का संबंध चौथे भाव से बने तो जातक का अपने घर से दूर आवास बनाना पड़ता है। या घर से दूर रहना पड़ता है।
  • बुध का संबंध जब चौथे भाव से हो तो भवन का पूर्ण सुख मिलता है।
  • जब बृहस्पति का संबंध चौथे भाव से हो तो उत्तम और सुंदर भवन की प्राप्ति होती है।
  • शुक्र का संबंध जब चौथे भाव से हो तो किसी नये घर में जन्म होता है।
  • शनि का संबंध जब चौथे भाव से हो तो आयु के 36 वर्ष के उपरांत निजी घर की प्राप्ति संभव होती है या पुराने आवास में रहना पड़ता है।
  • राहु या केतु का संबंध जब चौथे भाव से बने तो आयु के 42 वर्ष के उपरांत भवन प्राप्ति होती है

Astrologer Satyanarayan Jangid
WhatsApp – 6375962521

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।